घर, परिवार व मवेशी भी होंगे प्रभावित
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा बनाए गए प्रारंभिक डीपीआर के मुताबिक 637 कच्चे घर, 1252 आधे कच्चे-पक्के मकान और 24 पक्के मकान डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। प्रभावित घरों के मालिकों को मुआवजा के बतौर पक्के मकान के बदले डेढ लाख, आधा कच्चा-पक्का मकान का एक लाख और कच्चा मकान का 50 हजार रुपए मुआवजा दिया जाएगा। दस गांव के डूब क्षेत्र में जाने से न केवल वहां के लोग बल्कि पालतू मवेशी भी प्रभावित होंगे। 9317 गाय, 249 भैंसा, 3387 भैंसे, 345 भेड़, 11957 बकरी, 1378 मुर्गा-मुर्गी और 1952 अन्य पालूत जानवर भी प्रभावित हो रहे हैं।
प्रभावित परिवारों की खेती पर ये पड़ेगा असर
बांध के कमांड क्षेत्र में चयनित परिवारों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। चयनित परिवारों के विभिन्न फसलों खरीफ सीजन में 2665 हेक्टेयर और रबी सीजन में 1173 हेक्टेयर में खेती होती है। खरीफ मौसम के दौरान सबसे महत्वपूर्ण फसल सोयाबीन है जिसका क्षेत्रफल 685.69 हेक्टेयर है। खरीफ मौसम के दौरान उगाई जाने वाली अन्य महत्वपूर्ण फसलें बंगाल चना 677.06 हेक्टेयर, धान 669.53 हेक्टेयर हैं, जबकि काला चना, तिल, मिर्च और ज्वार भी उगाई जाती है। वहीं, रबी सीजन के दौरान गेहूं सबसे महत्वपूर्ण फसल होती है जिसका क्षेत्रफल 890.85 हेक्टेयर है। इसके बाद बंगाल चना, ज्वार, धान, गन्ना और मक्का भी उगाया जाता है।
जिले के 688 ग्रामों को मिलेगा सिंचाई का लाभ
बुंदेलखण्ड क्षेत्र के 6 जिले छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह एवं सागर सहित प्रदेश के 10 जिलों को सिंचाई का लाभ मिलेगा। जिसमें विदिशा, रायसेन, शिवपुरी, दतिया भी शामिल है। छतरपुर जिले के 688 ग्रामों तहसील बिजावर के 53 ग्राम, सटई के 8, राजनगर के 93, बड़ामलहरा के 51, लवकुशनगर के 51, नौगांव के 64, छतरपुर के 175, चंदला के 58, गौरिहार के 96 एवं महाराजपुर के 39 ग्रामों को सिंचाई का लाभ मिलेगा।