छतरपुर

छतरपुर को नगरनिगम बनाने की फाइल 6 माह से भोपाल में अटकी

शिवराज सरकार ने एक साल पहले छतरपुर को नगर निगम बनाने की घोषणा की थी। फिर विधानसभा चुनाव आ गए और डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में नई राज्य सरकार बन गई। इसके बाद लोकसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी घोषणा की थी कि छतरपुर को नगर निगम बनाने का वादा पूरा होगा, लेकिन अब इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

छतरपुरAug 04, 2024 / 10:20 am

Dharmendra Singh

छतरपुर नगरपालिका

छतरपुर. शिवराज सरकार ने एक साल पहले छतरपुर को नगर निगम बनाने की घोषणा की थी। फिर विधानसभा चुनाव आ गए और डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में नई राज्य सरकार बन गई। इसके बाद लोकसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी घोषणा की थी कि छतरपुर को नगर निगम बनाने का वादा पूरा होगा, लेकिन अब इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। हालात यह हो गए हैं कि नगर पालिका ने छह माह पहले राज्य शासन को स्मरण पत्र भेजा था, लेकिन अभी तक किसी तरह का जबाब नहीं मिला है। दरअसल 3 नवंबर को चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद पूरा परिदृश्य ही बदल गया है। अब नई सरकार को तय करना है कि छतरपुर नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिया जाए या नहीं, लेकिन तभी से मामला अटका हुआ है।

चुनावी घोषणा तक सीमित रही गई जनआकांक्षा


शहर का लगातार विकास हो रहा है। 2011 की जनगणना में शहर की आबादी एक लाख 48 हजार थी, जबकि मतदाताओं की संख्या 98 हजार थी। वर्तमान में आबादी बढकऱ दो लाख के करीब हो चुकी है। शहर की सीमाओं को बढ़ाकर कुछ गांव जोड़े जाने से आबादी का क्राइटेरिया भी अगले चुनाव तक पूरा हो जाएगा। लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी शिवराज के वादे पर अमल करने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक यह कोरी घोषणा ही साबित हो रही है।

जनता चुनती है महापौर


नगरपालिका में अध्यक्ष को पार्षद चुनते हैं, जबकि नगर निगम में महापौर को सीधे जनता चुनती है। अगर सरकार ने वादा पूरा किया तो अगली बार शहर की जनता महार को चुनेगी। वहीं अध्यक्ष का चयन निर्वाचित पार्षद करेंगे। नगर निगम में प्रशासक की भूमिका में आयुक्त रहेगा। आयुक्त आईएएस को बनाया जाता है। महापौर का अपना मंडल होता है। इसमें वह खुद सभापति होते हैं, जबकि मेयर इन काउंसिल में अधिकतम 11 सदस्यों को शामिल किया जा सकता है, जिन्हें विभिन्न समितियों का प्रभारी बनाया जाता है।

कई बदलाव आ सकते

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव के पहले स्टेडियम में हुए कार्यक्रम में छतरपुर को नगर निगम बनाने की सौगात देकर लोगों की बुनियादी जरुरत पूरी करने की दिशा में कदम बढ़ाया था, लेकिन उनके जाते ही यह इस पर ब्रेक लग गया है। हालांकि शहर के विस्तार के चलते छतरपुर को नगर निगम का दर्जा दिए जाने की मांग भी उठ रही थी। बता दें कि नपा से नगर निगम के सफर में कई बदलाव आ सकते हैं।

16 गांवों की बदलेगी तस्वीर


नगर निगम में शहर से सटे दो दर्जन गांवों को शहर में शामिल किया जा सकता है। इससे न सिर्फ गांवों का तेजी से विकास हो सकेगा, बल्कि वह शहरी परिवेश में आने लगेगे। जानकारी के अनुसार गठेवरा हमा, बगौता, गौरगांव, धमोरा, चंद्रपुरा, पठापुर, सौंरा समेत 16 गांव नगरनिगम में शामिल हो जाएंगे। जिससे जिला मुख्यालय के गावों की तस्वीर व तकदीर बदल जाएगी।

बजट बढ़ेगा


नगर पालिका की साधारण सभा ने पिछली बार 270 करोड़ रुपए का बजट पारित किया था। नगर निगम बनने से यही बजट बढकऱ 900 करोड़ रुपए के आसपास हो जाएगा। स्वाभाविक है भारी भरकम बजट मिलने से शहर विकास तेजी से हो सकेगा।



इनका कहना है


निगम बनने के बाद हमारी भूमिका एक सरकार की तरह रहेगी। एमओयू साइन करने का अधिकार रहेगा। उदाहरण के तौर पर जानिए यदि शहर में सिटी बसों का संचालन करना है, तो इसके लिए सरकार से अनुमति लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी। बजट में तीन गुना बढ़ोतरी हो जाएगी। वार्डों की संख्या 40 से बढकऱ 50 से 60 हो सकती है। नए वार्डों का परिसीमन होगा। इससे शहर से सटे कई गांव शहर में सम्मिलित किए जाएंगे। नगर निगम के कर्मचारियों का अलग कैडर तय होगा।
माधुरी शर्मा, सीएमओ

Hindi News / Chhatarpur / छतरपुर को नगरनिगम बनाने की फाइल 6 माह से भोपाल में अटकी

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.