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छतरपुर

4 माह से बच्चेदानी के बाहर ठहरे गर्भ का किया सफल ऑपरेशन

बांदा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने की डॉक्टर नीलम की प्रशंसा

छतरपुरNov 18, 2022 / 06:56 pm

Unnat Pachauri

4 माह से बच्चेदानी के बाहर ठहरे गर्भ का किया सफल ऑपरेशन

4 माह से बच्चेदानी के बाहर ठहरे गर्भ का किया सफल ऑपरेशन

बांदा। मेडिकल के इतिहास में एक और अलग केस जनपद बांदा में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में आया है। जिसमें एक महिला के बच्चेदानी के बाहर साढ़े 4 माह से गर्भ ठहरा था। जिसका डॉ. नीलम सिंह (गोल्ड मेडलिस्ट) ने सफल ऑपरेशन करके महिला की जान बचाई है। जबकि बच्चे को नहीं बचाया जा सका। यह केस मेडिकल स्टूडेंट के लिए मेडिकल लिटरेचर में भी लिखा जाएगा।
हमीरपुर जनपद के मौदहा तहसील में बिंवार गांव की रहने वाली ऋतु शुक्ला पति अमित शुक्ला साढ़े चार माह के गर्भ से थीं। पिछले कुछ दिनों से उन्हें रक्त रिसाव की समस्या हो गई थी। उन्होंने मौदहा में दिखाया तो डॉक्टर ने बच्चा खराब हो जाने की बात कह कर सफाई कर दी। सफाई के बाद भी मरीज को रक्त रिसाव से निजात नहीं मिली। तब ऋतु के परिजन ऋतु को लेकर बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज पहुंचे। जहां पर डॉ. नीलम सिंह ने मरीज की जांचें कराईं।
जांच से पता चला कि ऋतु के गर्भ में जो बच्चा पल रहा है, वो असल मे बच्चेदानी से बाहर एक गांठ में मौजूद है। डॉ. नीलम सिंह ने ऋतु के परिजनों को तत्काल ऋतु का ऑपरेशन कराने की सलाह दी। परिजनों की रजामंदी के बाद गुरुवार को ऋतु का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद महिला अब खतरे से बाहर है और स्वस्थ्य हो रही है।
इस केस के बारे में डॉ नीलम सिंह ने बताया कि इस तरह के केस लाखों में कभी कभार ही सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के केस में बच्चेदानी के बाहर साइड में एक गांठ की शक्ल में गर्भ ठहर जाता है। अगर डेढ़ दो माह तक ध्यान नहीं दिया जाता तो वह गांठ फट जाती है, जिससे मां की भी मौत हो सकती है। यह अपने आपमें बहुत अलग केस है, इस केस में साढ़े चार माह गुजर गए थे, लेकिन वो गांठ फटी नहीं, समय रहते मरीज ऑपरेशन होने से उसकी जान बच गई।
डॉ नीलम सिंह ने बताया कि इस केस की डिटेल आप्स गायनी जरनल में सुरक्षित की जाएगी। जो मेडिकल स्टूडेंट्स को अलग केसों के बारे में पढ़ाने में सहायक होगी। इस सफल ऑपरेशन के लिए रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मुकेश कुमार यादव ने डॉ नीलम सिंह और उनकी टीम की सराहना की है। इस बीच मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग में जब से यह अलग केस सामने आया है, तब से मेडिकल डिपार्टमेंट के साथ साथ आम लोगों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

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