बता दें कि, बागेश्वर धाम के पुण्य महामहोत्सव में ‘अपने-अपने राम’ कार्यक्रम पर चल रहे व्याख्यान में डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि मन की चेतना और सांसारिक चेतना में अंतर है। जो राम की कथा सुनते हैं वे वरदानी होते हैं। एक प्रसंग को लेकर उन्होंने कहा कि भगवान राम ने समुद्र बांधने के लिए एक पत्थर छोड़ा, लेकिन वो डूब गया, तब हनुमान जी ने कहा कि भगवन जिसे आप छोड़ देंगे वो संसार में कैसे उबर पाएगा। जो भाई की बात पर हमेशा हां कहता है, वही घर राममय होता है। जो संपत्ति को न देने की भावना बनाता है, उसके घर में कलेश होते हैं। उन्होंने आगे ये भी कहा कि शास्त्र का घरों में पठन-पाठन घट रहा है। इसके नतीजे ये हैं कि, व्यवस्थाएं बदल रही हैं। ईश्वर के आशीर्वाद से कृतज्ञता आती है।
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कथा की शुरुआत में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि, ये जीवन ईश्वर ने भक्ति के लिए दिया है। उन्होंने कहा कि हमारा जो जीवन बचा हुआ है, उसे जनकल्याण में लगाकर विशेष बनाएं। उन्होंने चरण पादुका सिंहपुर को याद करते हुए कहा कि जिन वीर सपूतों ने संस्कृति बचाने के लिए सीने में गोलियां खाईं, उनके चरित्रों को अपने जीवन में उतारने की आवश्यक्ता है।
बता दें कि, इन दिनों बागेश्वर धाम के महाकुंभ में 108 कुण्डीय श्री अतिविष्णु यज्ञ भी चल रहा है। शहीदों के लिए यज्ञ करने वाले परमपूज्य बालक योगेश्वरदास महाराज ने इस यज्ञ को शहीदों को समर्पित किया। बुंदेलखंड का जलियांवाला बाग कहे जाने वाले चरण पादुका से कलश में जल भरकर बागेश्वर धाम लाया गया। इससे पहले शहीद स्मारक में मौजूद लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर बलिदानियों को याद किया। कलश यात्रा में परमपूज्य बालक योगेश्वर दास जी महाराज के अलावा विधानसभा सचिव अवधेश प्रताप सिंह, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के शंकर सोनी, महेश द्विवेदी के अलावा अमित सोनी, जीतेन्द्र घोष, उपेन्द्र प्रताप सिंह लकी, नेहरू युवा केन्द्र के सदस्य व ब्रहकुमारी आश्रम के सदस्य शामिल रहे।
कलश को एक शोभायात्रा के साथ बागेश्वर धाम लेकर आया गया। यहां य कलश बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को सौंपा गया। ये कलश यज्ञ स्थल में स्थापित किया जाएगा। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर महाराजश्री ने कहा कि जिन्होंने देश की शान के लिए अपनी जान न्यौछावर की है, वे हमेशा हमारे जीवन में अविस्मरणीय रहेंगे।