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छतरपुर

बिरजू महाराज को संस्कृति विभाग ने दिया कथक महाराज का नाम

डाक विभाग ने जारी किया विशेष आवरणकलावार्ता में शिष्या शाश्वती और बेटी ममता ने किया भावुक संवाद

छतरपुरFeb 21, 2022 / 07:30 pm

Dharmendra Singh

 डाक विभाग ने जारी किया विशेष आवरण

डाक विभाग ने जारी किया विशेष आवरण

खजुराहो। कथक के महान नर्तक पंडित बिरजू महाराज कथक ही नही, गायन वादन से लेकर दीगर कलाओं के जानकार थे। उन्होंने खुद को इस तरह गढ़ा था कि उन्हें समग्र सांस्कृतिक पुरुष कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह बात सोमवार को खजुराहो नृत्य समारोह के अन्तर्गत कलावार्ता में उन्हीं की शिष्या शाश्वती सेन और बेटी ममता महाराज ने कही। पंडित बिरजू महाराज के सांस्कृतिक अवदान पर आयोजित कलवार्ता के इस सत्र में शाश्वती और ममता ने कहा कि वे ऐसे महान गुरु थे, जिन्होंने कई लोगों की आंखे खोली और सही रास्ता दिखाया। उन्होंने हमें एक नहीं अनेक विद्याओं की जानकारी दी और हमारा ज्ञानवर्धन किया। वे मानो हर विषय मे पारंगत थे। नृत्य तो वे करते ही थे सितार सारंगी वायलिन से लेकर तबला पखावज तक सब ऐसे बजाते थे जैसे वे इन्हीं के लिए बने थे। गायन में भी शास्त्रीय से लेकर गज़़ल ठुमरी दादरा सब कुछ किसी मंझे कलाकार की तरह गाते थे। वे कविताएं लिखते तो लगता कि वे कवि हैं , पेंटिंग करते तो लगता कि वे चित्रकार हैं।
लोगों को आसानी से समझाया कथक
बिरजू महाराज की बेटी ममता महाराज ने भी अपने पिता के बारे में चर्चा की और इच्छा जाहिर की कि अगला जन्म भी उन्हें महाराज जी के घर में उनके पिता रहते मिले। काफी भावुक ममता कुछ पलों के लिए बोल नहीं पाई । उन्होंने बताया कि उन्होंने बाबू ( घर में बच्चे बिरजू महाराज को इसी संबोधन से बुलाते थे) को देख देखकर बहुत कुछ सीखा। उनकी बॉडी लेंग्वेज को समझा मूवमेंट अंग नृत्य और पद संचालन सब उन्हें देखकर सीखा। उन्होंने कथक को नई पीढ़ी खासकर बच्चों में लोकप्रिय बनाने के लिए काफी काम किया। इसके लिए उन्होंने ऐसी गतें , तिहाइयां बनाई कि नीरस लगने वाला कथक लोगों को आसानी से समझ आने लगा। कथक को लोकप्रिय बनाने में उनका बडा योगदान है। कार्यक्रम में प्रख्यात चित्रकार लक्ष्मीनारायण भावसार ने भी बिरजू महाराज से जुड़े कुछ संस्मरण साझा किए।
खजुराहो की मूर्तियों का अध्यात्म से गहरा नाता
कलवार्ता के दूसरे सत्र में पुरातत्वविद डॉ. शिवकांत वाजपेयी ने खजुराहो के मंदिरों के संदर्भ में पुरातत्व और नृत्य संगीत के अंतरसंबंधों पर विस्तार से और प्रामाणिक ढंग से चर्चा की। उन्होंने कहा कि खजुराहो के मंदिर और उन पर उत्कीर्ण मूर्तियां ताल मान प्रमाण से बनाई गई हैं इनका संस्कृति, आध्यत्म से गहरा रिश्ता है। उन्होंने बताया कि आज जो भी शास्त्रीय नृत्य प्रचलित हैं उनकी अनेक मुद्राएं पोज आपको इन मूर्तियों में दिखेंगे।
डाक विभाग ने जारी किया विशेष आवरण
डाक विभाग ने आज खजुराहो नृत्य महोत्सव के अंतर्गत पंडित बिरजू महाराज पर विशेष आवरण जारी किया। प्रयाग फ़ैलेटिलिक सोसायटी के प्रस्ताव पर सोसाइटी के सचिव राहुल गांगुली ने खजुराहो पोस्ट ऑफिस की तरफ से ये आवरण जारी किया। इस मौके पर उस्ताद अलाउद्दीन ख़ां संगीत एव कला अकादमी के निदेशक जयंत भिसे, उप निदेशक राहुल रस्तोगी. शाश्वती सेन, ममता महाराज , लक्ष्मीनारायण भावसार उपस्थित थे।
चल चित्र में बिरजू महाराज पर फिल्मों का हुआ प्रदर्शन
समारोह की दूसरी महत्वपूर्ण गतिविधि चलचित्र के तहत शाम 4 बजे कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज पर केंद्रित फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। चलचित्र समरोह का ही हिस्सा है । प्रयास यह किया गया है कि सभी विधाओं के कलाकारों पर केन्द्रित नॉन फीचर फिल्म वृत्तचित्र लघु वृत्तचित्र, प्रदर्शित किए जाएं और उन पर कला जगत की हस्तियों के साथ जीवंत संवाद किया जाए। इस क्रम में राज बेंद्रे द्वारा संयोजित कुछ विशिष्ट फिल्मों का प्रदर्शन आज किया गया। ये फिल्में पंडित बिरजू महाराज के नृत्य और सांगीतिक अवदान पर केंद्रित थी, इनमें बिरजू महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व पर समग्रता से रोशनी डाली गई है।

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