डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी जारी रही तो इंपोर्ट महंगा हो सकता है। जिसके चलते चालू खाते का घाटा बढ़ने की आशंका है। मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून में चालू खाते का घाटा बढ़कर 23.9 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है जो कि जीडीपी का 2.8 फीसदी है। बोलचाल की सामान्य भाषा में समझे तो डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से विदेशों से आयात होने वाले जैसे कच्चे तेल और अन्य जरूरी उत्पादों की कीमत में वृद्धि हो जाती है, जिस कारण कंपनियों को मजबूरी में कीमत बढ़ानी पड़ती है। ऐसे में महंगाई और बढ़ती है।
इधर डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने के पीछे डॉलर को मजबूत होना बताया जा रहा है। अभी हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का एक बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि रुपया नहीं कमजोर हो रहा, डॉलर मजबूत हो रहा है। वित्त मंत्री के इस बयान पर खूब किरकिरी हुई थी। हालांकि जानकारों की राय भी यही है।
भारत सरकार के 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड बढ़कर 7.4510 फीसदी हो गया है। जानकारों के मुताबिक 82.40 रुपये पर आरबीआई ने दखल देकर रुपये को गिरने से संभालने की कोशिश की थी। लेकिन माना जा रहा है कि आरबीआई ने दखल नहीं दिया तो रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी रह सकता है। जानकारों की राय में मार्च 2023 तक रुपया 85 के लेवल तक आ सकता है। इससे आने वाले दिनों में महंगाई के और बढ़ने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है।