बच्चें और युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय होते हैं। उनके द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर समय बिताया जाता है। ऐसे में माता पिता को साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी लेकर खुद और परिवार को अलर्ट करना चाहिए। अपने भीतर से डर निकालकर किसी भी तरह के ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने पर पुलिस को सूचना देना चाहिए।
बृज गोपाल दीक्षित, पीइइओ, करवर
डिजिटल अरेस्ट का शिकार अधिकांश पढ़ा-लिखा बन रहा है। इंटरनेट पर उपलब्ध डाटा से लोगों की जानकारी जुटा लेते हैं। कई बार ऑनलाइन सामान बुलाने पर ठग कस्टमर को कॉल कर उनके द्वारा ड्रग्स अन्य अवैध पदार्थ सप्लाई करने के आरोप लगाते है, फिर वीडियो कॉल कर डिजिटल अरेस्ट का जाल बुनते हैं। इनसे बचने के लिए जालसाजों के तरीकों को बारीकी से समझना जरूरी है। जल्दबाजी में उन्हें पैसा ट्रांसफर करने से बचना चाहिए।
गणेश प्रसाद साहू व मनीष नागर
किसी भी मोबाइल एप को चालू करने पर तीन तरह की परमिशन मांगी जाती है। अधिकांश लोग असुरक्षित प्लेटफॉर्म से एप डाउनलोड कर लेते हैं। उनके द्वारा गैलरी, माइक्राफोन, कैमरे से जुड़ी जानकारी के लिए परमिशन मांगी जाती है। लोग अनजाने में इसे एक्सेप्ट कर लेते हैं, जिससे उनके मोबाइल से निजी जीवन की पूरी जानकारी सामने बैठे ठगों तक पहुंच जाती है। इससे बचना जरूरी है।
नीरज नागर, वार्डपंच
मोबाइल हैङ्क्षकग, यूआरएल, वेबसाइट विजिट, बैंक फ्रॉड, ओटीपी, पिनकोड, सीवीवी, टॉस्क बेस्ड फ्रॉड, लोन ऐप, डिजिटल, वर्चुअल नंबर सहित अन्य ङ्क्षबदुओं पर लोगो को जागरूक किया। साथ ही ऐसे साइबर अपराधों से बचने के लिए टोल फ्री नंबर 1930 पर कॉल कर सूचना देना चाहिए। साइबर ठगी का शिकार होने पर फ्रीज बैंक खाते या होल्ड राशि को वापस प्राप्त करने के बारे में जानकारी दी।
प्रदीप मीणा, बैंक अधिकारी
इंटरनेट उपयोग व सोशल मीडिया के उपयोग से कैसे हमारी निजी जानकारी दूसरों के हाथों तक जा सकती है। उनसे बचाव के बारे में बताया। ठगी का शिकार होने से बचने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट सहित अन्य अकाउंट पर टू स्टेप वेरिफिकेशन सिक्योरिटी को चालू कर लेना चाहिए। जीमेल सहित सभी अकाउंट की पासवर्ड मजबूत होने चाहिए तथा इन्हें बदलते रहना चाहिए।