अदाकारी के नए अंदाज
नवाबों के शहर लखनऊ में फिल्माई गई ‘महरुन्निसा’ एक बुजुर्ग अभिनेत्री की कहानी है, जो 80 साल की उम्र में महिलाओं के हक में आवाज उठाती है और उनकी भरोसेमंद वकील के तौर पर उभरती है। वह साबित करती है कि हौसला, हिम्मत और जज्बा हो तो ढलती उम्र किसी महिला की सक्रियता में बैरियर खड़े नहीं करती। फिल्म में महरुन्निसा का किरदार 88 साल की फारुख जफर ने अदा किया है। उनके हौसले को सलाम किया जाना चाहिए कि इस उम्र में वे अदाकारी के नए-नए रंग और अंदाज पेश कर रही हैं। शूजित सरकार की ‘गुलाबो सिताबो’ में बुजुर्ग मिर्जा (अमिताभ बच्चन) की बेगम के किरदार में उनकी सहज और जिंदादिली से भरपूर अदाकारी को दर्शक भूले नहीं होंगे। नवाजुद्दीन सिद्दीकी की ‘अनवर का अजब किस्सा’ में भी उनका छोटा-सा किरदार था।
एक तरह से अपना ही किरदार
एक तरह से ‘महरुन्निसा’ में फारुख जफर ने अपना ही किरदार अदा किया है। वे कभी आकाशवाणी की उद्घोषिका थीं। उनका ‘मेरी आवाज सुनो’ का अंदाज लुभाता है। शीशे जैसे साफ तल्लफुज वाली फारुख जफर ने फिल्मी सफर 50 साल की उम्र में शुरू किया था। मुजफ्फर अली की ‘उमराव जान’ उनकी पहली फिल्म थी। इसमें उन्होंने रेखा की मां का किरदार अदा किया। वे शाहरुख खान की ‘स्वदेश’, आमिर खान की ‘पीपली लाइव’ और सलमान खान की ‘सुलतान’ में भी नजर आई थीं।
बेटी बनी हैं तूलिका बनर्जी
‘महरुन्निसा’ में फारुख जफर नवाबी खानदान की महिला के किरदार में होंगी, जो सामाजिक वर्जनाएं तोड़कर महिलाओं के लिए मिसाल भी बनती है और मशाल भी। फिल्म में तूलिका बनर्जी ने उनकी बेटी और अंकिता दुबे ने पोती का किरदार अदा किया है। फारुख जफर की तरह तूलिका बनर्जी भी लखनऊ की हैं। वाया दूरदर्शन उन्होंने ओम पुरी की ‘मि. कबाड़ी’ (2017) से फिल्मों में कदम रखा। ‘छोटे नवाब’, ‘गुमनामी’, ‘मैडम प्राइम मिनिस्टर’, ‘शूबॉक्स’ आदि फिल्मों के अलावा वे प्रकाश झा की वेब सीरीज ‘आश्रम’ में नजर आ चुकी हैं। इसमें उन्होंने बॉबी देओल की पत्नी का किरदार अदा किया।
फोकस क्रॉसओवर सिनेमा पर
विदेश में बसे भारतीय मूल के फिल्मकारों तरसेम सिंह, दीपा मेहता, मीरा नायर और गुरिंदर चड्ढा की तरह संदीप कुमार का फोकस भी क्रॉसओवर सिनेमा पर है। वह दुनिया को भारतीय परिवेश, यहां की संस्कृति और कहानियों से रू-ब-रू कराना चाहते हैं। लीक से हटकर बनाई गई कुछ फिल्मों ने उन्हें अलग पहचान दी है।