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Newborn Care Week 2019: अपने नन्हें की ऐसे करें देखभाल

Newborn Care Week 2019: माता-पिता बनना जीवन का एक बेहद ही सुखद पल हाेता। जाे व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने के साथ नन्हें मेहमान की जिम्मेदारी भी लाता हैं…

Nov 16, 2019 / 05:25 pm

युवराज सिंह

Newborn Care Week 2019: Tips To Take Your Newborn baby

Newborn Care Week 2019: अपने नन्हें की ऐसे करें देखभाल

newborn care Week 2019: माता-पिता बनना जीवन का एक बेहद ही सुखद पल हाेता। जाे व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने के साथ नन्हें मेहमान की जिम्मेदारी भी लाता हैं।पेरेंटिंग का पहला हर माता-पिता के लिए कर्इ तरह के नए-नए अनुभव लेकर आता है। नवजात की अच्छी देखभाल के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दुनियाभर में 15 – 21 नवंबर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का आयाेजन किया जाता है। अाइए जानते हैं नवजात की देखभाल के कुछ खास टिप्स:-
– डिलीवरी के तुरंत बाद नवजात को मां का पीला गाढ़ा दूध पिलाना चाहिए। इससे शिशु में रोग प्रतिरोधकता बढ़ती है। प्रसव बाद महिला को सामान्य अवस्था में आने में डेढ़ माह लगते हैं। तब तक खट्टे फल, नींबू, अचार, इमली की चटनी या खट्टी चीजें खाने से बच्चे को भी दिक्कत हो सकती है। कोल्ड ड्रिंक्स, चाय और कॉफी के प्रयोग से बचें।
– शिशु को छह माह तक केवल स्तनपान कराएं। प्रसव बाद बच्चे को दूध पिलाने के लिए प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटॉसिन हार्मोन बनते हैं। पहले दूध को कोलोस्ट्रम कहते हैं। यह शिशु को पीलिया से रक्षा करता है। ब्रेस्टमिल्क बढ़ाने के लिए दूध, चावल की खीर लें। जीरे को हल्का भूनें। सुबह-शाम खाने के बाद इसे तांबें के बर्तन में पानी के साथ आधा चम्मच लेने से दूध की गुणवत्ता बढ़ती है। आयुर्वेद में शतावरी, विदारीकंद मिलाकर 5 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ लेने से दूध की मात्रा बढ़ती है।
– बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए, स्वस्थ, पौष्टिक और सुपाच्य सारे गुण मां के दूध के अलावा किसी चीज में नहीं होते। शिशु को छह माह बाद उबली सब्जियां, फल और नौ माह बाद अन्न देना चाहिए।
– शिशु थाेड़े-थाेड़े समय बाद अपने कपड़े गीले करते हैं। ध्यान रखें की शिशु ज्यादा समय तक गीला ना रहें। समय रहते ही उसके गीले कपड़े बदल दें। गीलेपन से शिशु काे त्वचा संक्रमण व सर्दी जुकाम जैसी समस्या हाे सकती है।
– शिशु का शरीर यदि लम्बे समय तक तप रहा है ताे उसे चिकित्सक काे दिखाएं, क्याें कि लम्बे समय तक सामान्य से ज्यादा ताप बुखार हाे सकता है।

– बच्चे का राेना बुरी बात नहीं है, लेकिन लगातार राेना किसी समस्या का सकेंत हाे सकता है। पेट दर्द, अपच हाेने, चाेट लगने पर बच्चा लम्बे समय तक राेता है।
– सर्दी के दिनाें में हल्की धूप में घी, तिल, नारियल या सरसाें के तेल से शिशु की मालिश करना फायदेमंद हाेता है। मालिश से शिशु की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।

– सर्दी के माैसम में शिशु काे गरम कपड़ाें में ही रखें, व ज्यादा हवा न लगने दें। क्याेंकि इस माैसम में सर्दी जुकाम हाेना का खतरा ज्यादा हाेता है। धूप हाेने पर ही बाहर लिटाएं।
इन सभी बाताें का ध्यान रखकर आप अपने नन्हें काे सेहतमंद रख सकते हैं।

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