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बिलासपुर

तीजा मनाने मायके पहुंच रहीं बहन-बेटियां अखंड सुहाग के लिए करेंगी हरितालिका व्रत

तीजा पर्व मनाने के लिए बेटियों का मायके आने का सिलसिला शुरू हो गया है जो तीजा के दिन तक चलता रहेगा

बिलासपुरAug 23, 2017 / 06:44 pm

Amil Shrivas

Tija festival
बिलासपुर. हरितालिका व्रत जिसे स्थानीय भाषा में तीजा पर्व के नाम से जाना जाता है। इस पर्व का सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व है। साथ ही साथ कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को कर भगवान शंकर व माता पार्वती से मनचाहा वर मांगती है। इस पर्व में खास बात यह है कि प्रदेश में तीजा का पर्व बेटियों को मायके लाने के लिए भी प्रचलित है।
साल भर में तीजा पर्व के लिए बेटियां बच्चों के साथ अपने पिता व भाई के घर आती है। हरितालिका तीज का व्रत कर अपने नाते रिश्तेदारों से मेल-मिलाप करके वापस ससुराल लौटती है। तीजा का पर्व 24 को मनाया जाएगा इसलिए बेटियां अपने मायके पहुंचने लगी हंै। तीजा पर्व मनाने के लिए बेटियों का मायके आने का सिलसिला शुरू हो गया है जो तीजा के दिन तक चलता रहेगा। शहर में बस, ऑटो व अन्य परिवहन साधन के माध्यम से बेटियां अपने मायके पहुंचने लगी हैं। घर में चहल-पहल व रौनक है।
तीजा के पर्व में व्रत के साथ ही अपने सखी-सहेलियों से भी मेल-मिलाप करती हैं। साथ ही साथ अपने नाते-रिश्तेदारों के घर भी जाएंगी। इस पर्व का इंतजार महिलाओं को रहता है। साथ ही इसकी तैयारी भी महिलाएं उत्साह व उमंग से करती हैं। बाजार में भी इस व्रत से संबंधित सामग्री की दुकानें सज गई हैं। साड़ी से लेकर शृंगार की सामग्री तक प्रत्येक चीज का महत्व इस व्रत में माना जाता है। इस लिए महिलाएं खास तरह से तैयारी कर रही हंै।
बिकने लगी सखी पार्वती की मूर्ति : हरितालिका व्रत में भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति की पूजा की जाती है। इसके लिए बाजार में मिट्टी से निर्मित मूर्ति के दुकान सजे हुए हैं। जहां पर सखी व मां पार्वती भगवान शंकर की पूजा करते नजर आ रही है। व्यापारी अरुण जायसवाल ने बताया कि प्रति नग 50 से 100 रुपए की दर से मिल रही है।

भगवान शंकर-पार्वती से करेंगी अखंड सुहाग की कामना : ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद डॉ.दीपक शर्मा ने बताया कि 24 अगस्त को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाएगा। इस व्रत को मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए किया था। तब भगवान शंकर उनके व्रत व तप से प्रसन्न हुए थे। तब से इस व्रत को कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए व्रत करती है साथ ही सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अखंड सुहाग की कामना के लिए करती है। इस व्रत में 24 घंटे बिना जल ग्रहण किए भगवान शंकर व मां पार्वती की आराधना करेंगी। निर्जला व्रत की पूजा रात में सामूहिक रूप से फूलेरा सजाकर सोलह शृंगार करेंगी। दूसरे दिन सुबह व्रत का पारण भोग व फल ग्रहण करके करेंगी।

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