कभी रोशनी देखी नहीं, विद्यार्थियों को दे रही शिक्षा की ज्योति यदि संघर्ष करेंगे डटकर तो करना होगा सबसे कुछ हटकर के ध्येय वाक्य को सामने रखकर अपना मुकाम हासिल करने वाली सुनीता मोहता ने जन्म से ही अपने जीवन में रोशनी को नहीं देखा है। राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय में अंग्रेजी की असिस्टेंट प्रोफेसर सुनीता स्वयं तो नहीं देख पा रही है, लेकिन कॉलेज में बालिकाओं को ज्ञान की ज्योति से प्रकाशमान कर रही है। ब्लाइंड स्कूल जोधपुर में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। कमला नेहरू कॉलेज जोधपुर में सामान्य विद्यार्थियों के साथ कक्षाओं में सुनकर और रेकॉर्डेट संवादों से शिक्षा प्राप्त की। सुनीता वर्ष 2011 से 2021 तक सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ा रही है। वर्ष 2022 में स्कूल की प्राचार्य बन गई। इसके बाद आरपीएससी से कॉलेज शिक्षा में चयनित हुई। सुनीता का कहना है कि सफलता के लिए अपने इरादे मजबूत रखो। नेत्र दृष्टि नहीं है तो दृष्टिकोण को रोशन रखो। जीवन में लक्ष्य तय कर उसे पाने में लग जाओ। सुनीता वर्तमान में अमेरिकन कवि रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविताओं पर पीएचडी कर रही है।
इरादा मजबूत, गढ़ रहे इंजीनियर जीवन में संघर्ष और बाधाएं आएगी। संघर्ष को ही जीवन की ताकत बनाकर आगे बढ़ना है और लक्ष्य हासिल करना है। इस ध्येय वाक्य को अपनाकर इंजीनियर तैयार करने वाले डॉ.राहुल राज चौधरी दिव्यांगता के बावजूद लक्ष्य को केन्द्र में रखकर कार्य कर रहे है। लक्ष्मणगढ़ में जन्में व जोधपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। वर्ष 2002 में एक सड़क दुर्घटना में रीढ की हड्डी में आई चोट के कारण कमर के नीचे के हिस्से पैरालाइसिस हो गया। दो साल तक बीमारी से जूझने के बाद राहुल राज ने हिम्मत नहीं हारी और वर्ष 2004 में हरियाणा में पॉलिटेक्निक कॉलेज में ज्वॉइनिंग की। वर्ष 2007 में बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज में इलेक्ट्रोनिक इंस्ट्रूमेंटेशन एवं कंट्रोल इंजिनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए व बाद में विभागाध्यक्ष बने। राहुल राज के निर्देशन में चल रहे इनोवेशन व प्रोजेक्ट कार्यों के कारण कॉलेज पांच साल से बेस्ट रैटिंग में है। इनके मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने दो दर्जन से अधिक प्रोजेक्ट पूरे किए है। डॉ. राहुल राज का लक्ष्य है कि उनके विद्यार्थी दुनिया में इंजीनियरिंग को गौरव प्रदान करे तथा नए-नए इनोवेशन व प्रोजेक्ट दे, जिससे देश व समाज को लाभ हो।
बंद आंखों से छात्रों के जीवन में फैला रहे उजाला अपनी क्षमता को पहचानकर कठिन परिश्रम किया जाए, तो हर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इस ध्येय वाक्य को अपनाकर स्कूल व्याख्याता के रूप में विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षा का उजाला फैला रहे शिक्षक अब्दुल सत्तार मुगल दिव्यांगता को पछाड़कर अहम मुकाम हासिल कर चुके हैं। महज दस वर्ष की आयु में आंखों की ज्योति खोने वाले अब्दुल सत्तार मुगल ने सतत प्रयास, कठोर परिश्रम और लक्ष्य को सामने रखकर सफलता अर्जित की। शिक्षा के साथ-साथ क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत का भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं शतरंज में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। संगीत, कला व संस्कृति, आकाशवाणी से भी जुड़े रहे हैं। अब्दुल सत्तार वर्तमान में राजकीय फोर्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय में फर्स्ट ग्रेड शिक्षक के रूप में अध्यापन कार्य कर रहे हैं।