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बीकानेर

Rajasthan: कभी जिन हाथों से किया जुर्म अब उन्हीं से बना रहे लजीज डिशेज, जेल के 45 बंदियों को दिलाई ट्रेनिंग

Bikaner Central Jail: कुक ने सब्जियों को काटने से लेकर पकाने, दालों को पकाने, नाश्ता बनाने की गुणवत्तापूर्वक विधियों के बारे में कैदियों को प्रशिक्षित किया।

बीकानेरNov 21, 2024 / 10:16 am

Alfiya Khan

bikaner jail
जयप्रकाश गहलोत
बीकानेर। केन्द्रीय कारागार में बंद कैदियों के स्वास्थ्य को लेकर स्थानीय जेल प्रशासन अब गंभीर नजर आ रहा है। यही वजह है कि जेल प्रशासन ने कैदियों को स्वादिष्ट व पौष्टिक भोजन परोसने का बीड़ा उठाया है। बंदियों की थाली को स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाने के लिए जेल में भोजन बनाने वाले बंदियों को ट्रेनिंग दी गई है, ताकि वे स्वादिष्ट व पौष्टिक भोजन बना सकें। कारागार की रसोई में काम करने वाले ऐसे 45 बंदियों को भोजन बनाने की खास ट्रेनिंग दी गई है। यह ट्रेनिंग उन्हें सीमा सुरक्षा बल के कुक हवलदार करणजीत दास ने दी है। कुक ने सब्जियों को काटने से लेकर पकाने, दालों को पकाने, नाश्ता बनाने की गुणवत्तापूर्वक विधियों के बारे में कैदियों को प्रशिक्षित किया।

इसलिए पड़ी जरूरत

कारागार में रोजाना करीब 1400 व्यक्तियों का भोजन बनता है। ऐसे में बंदी प्रशिक्षित नहीं होने से खाना पौष्टिक और स्वादिष्ट नहीं बन पा रहा था। इससे बंदी रुचि लेकर भरपेट भोजन नहीं कर पा रहे थे। उनके स्वास्थ्य पर असर तो पड़ ही रहा था। कई बार भोजन की गुणवत्ता को लेकर कैदियों की नाराजगी के साथ ही जेल प्रशासन को असहज स्थितियों का भी सामना करना पड़ता था। इसके मद्देनजर जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल ने जेल डीजी से इस संबंध में चर्चा कर जेल की भोजनशाला में काम करने वालों को ट्रेनिंग दिलाने का सुझाव रखा, जिसे डीजी जेल ने स्वीकार कर अनुमति दे दी। इसके बाद जेल अधीक्षक मालीवाल ने बीएसएफ की 124 बीएन के कमांडेंट संजय तिवाड़ी से संपर्क किया।

बंदियों को मिलेगा पारिश्रमिक, छूटने के बाद रोजगार

बंदियों को भोजन बनाने का प्रशिक्षण देने के पीछे जेल प्रशासन का दोहरा उद्देश्य है। पहला बंदियों को आत्मनिर्भर बनाना, जिससे वे जेल में भोजन पकाने में महारथ हासिल करें। जेल में पारिश्रमिक भी मिलता रहेगा। दूसरा, जेल से छूटने के बाद वे अपना रोजगार कर सकेंगे। किसी होटल, ढाबे में कुक की नौकरी कर सकेंगे अथवा अपना ढाबा संचालित कर सकेंगे। नैतिक शिक्षा के तहत भी कैदियों को छीन कर खाने वाले असामाजिक तत्वों से जेल में खुद भोजन पका कर खाने और खिलाने की सीख दी जा रही है।
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यह है व्यवस्था

नाश्ता : काला चना, नमकीन खिचड़ी, मीठा दलिया, पोहा।
स्पेशल : एक रविवार को हलवा और एक रविवार खीर।
सब्जी : रोजाना सुबह-शाम एक हरी सब्जी और दाल।
चाय : सुबह व दोपहर।

45 बंदियों को दिलाई ट्रेनिंग

बंदियों को पौष्टिक भोजन देने के लिए भोजनशाला में काम करने वाले 45 बंदियों को ट्रेनिंग दिलाई गई है। बीएएसएफ के हेड कुक ने ट्रेनिंग दी है। भोजनशाला में काम करने वाले बंदियों को पारिश्रमिक दिया जाता है, जो उनके बैंक एकाउंट में जमा होता है।
सुमन मालीवाल,जेल अधीक्षक

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