देवली-उनियारा में कौन-किसको देगा पटकनी?
राजस्थान उपचुनाव में सबसे हॉट सीट देवली-उनियारा से कांग्रेस के बागी नरेश मीना ने निर्दलीय मैदान में उतरकर चुनाव को त्रिकोणीय और रोचक बना दिया। हालांकि नरेश मीना पहले भी कांग्रेस से बगावत कर छबड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। इस सीट से कांग्रेस के कस्तूरचंद मीना और बीजेपी से राजेंद्र गुर्जर मैदान में हैं। यहां सांसद हरीश चंद्र मीना और कांग्रेस के दिग्गज सचिन पायलट का प्रभाव है।
ऐसे में कौन जीतेगा, यह कह पाना मुश्किल है। इस सीट के इतिहास की बात करें तो विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस से हरीश चंद मीना, विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा से राजेंद्र गुर्जर और विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस के रामनारायण मीना चुनाव जीते।
खींवसर के रण में कौन मारेगा बाजी?
नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर आरएलपी का प्रभाव माना जाता है। क्योंकि पार्टी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल का गृह क्षेत्र है। बेनीवाल के नागौर से सांसद बनने के बाद ही यह सीट खाली हुई थी। आरएलपी ने इस बार बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल का टिकट काटकर पत्नी कनिका बेनीवाल को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर भाजपा ने आरएलपी छोड़कर आए रेवंतराम डांगा पर भरोसा जताया है। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का भी इस सीट पर प्रभाव देखा जाता है। बीजेपी के लिए भाजपा नेता ज्योति मिर्धा ने काफी मेहनत की है। वहीं, कांग्रेस ने यहां से डॉ. रतन चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। बता दें कि खींवसर सीट हनुमान बेनीवाल के दबदबे वाली है। बेनीवाल चार बार विधायक रह चुके हैं। वहीं लगातार दूसरी बार नागौर से सांसद हैं। हनुमान ने पिछला लोकसभा चुनाव एनडीए गठबंधन के सात लड़ा था। बाद में किसानों के मुद्दे पर गठबंधन से नाता तोड़ लिया था। फिर राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सांसद पद से इस्तीफा देकर खींवसर से चुनाव लड़ा और विधायक बने।
क्या रामगढ़ में चलेगा कांग्रेस का इमोशनल कार्ड?
अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर दिगवंत कांग्रेस नेता जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को चुनावी मैदान में उतारा है। उधर, भाजपा ने सुखवंत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। यह सीट विधायक जुबेर खान के निधन के बाद हुई है। उल्लेखनीय है बीजेपी ने 2018 में ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काटकर सुखवंत प्रत्याशी बनाया था, जो सफिया खान से चुनाव हार गए थे। बताया जा रहा है कि सुखवंत सिंह को इस सीट पर भूपेंद्र यादव का समर्थन है। भूपेंद्र यादव अलवर से सांसद बने और वे केंद्रीय मंत्री भी हैं। उनका इस क्षेत्र में खासा प्रभाव है। इधर, आर्यन को लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने इमोशनल कार्ड खेला है। जिससे कांग्रेस काफी फायदा मिल सकता है।
दौसा में पायलट या किरोड़ी करेंगे खेल?
दौसा सीट पर भाजपा ने किरोड़ी लाल मीना के भाई जगमोहन मीना को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने पायलट समर्थक डीसी बैरवा को प्रत्याशी बनाया है। सांसद मुरारी लाल मीना के दौसा से जीतने का बाद यह सीट खाली हुई थी। इस सीट पर किरोड़ी लाल मीना और कांग्रेस के दिग्गज सचिन पायलट की साख की लड़ाई है। ऐसे में दौसा विधानसभा सीट पर चुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है। दौसा सीट के इतिहास की बात करें तो विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस से मुरारी लाल मीना ने जीत दर्ज की। 2018 में बीजेपी के शंकरलाल शर्मा और विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस से मुरारी लाल मीना जीते।
क्या सलूंबर में भाजपा का चलेगा इमोशनल कार्ड?
उदयपुर जिले की सलूंबर विधानसभा सीट से बीजेपी के अमृतलाल मीना के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी। भाजपा ने उनकी पत्नी शांता देवी मीना को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने रेशमा मीना को टिकट दिया है। सलूंबर विधानसभा सीट पर मीना बाहुल्य स्थिति में है। ऐसे में मीना वोटबैंक ही हार-जीत का फैसला करेगा। सलूंबर सीट के इतिहास की बात करें तो विधानसभा चुनाव 2023, 2018 और 2013 में अमृतलाल मीना चुनाव जीते।
झुंझुनूं में क्या ओला परिवार फिर मारेगा बाजी?
झुंझुनूं विधानसभा सीट पर ओला परिवार का जादू रहा है। यह सीट बृजेंद्र ओला के सांसद बनने के बाद खाली हुई है। इस सीट पर कांग्रेस ने सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को मैदान में चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, बीजेपी ने यहां से राजेंद्र भांबू को टिकट दिया है। ऐसे में इसका रिजल्ट इसी बात पर तय होगा कि यहां लोग एक बार फिर ओला परिवार पर भरोसा जताते हैं या नए प्रत्याशी पर दांव लगाते हैं। झुंझुनूं सीट के इतिहास की बात करें तो विधानसभा चुनाव 2023 में बृजेंद्र ओला, 2018 में राजेंद्र सिंह भांबू और विधानसभा चुनाव 2013 में राजेंद्र सिंह चुनाव जीते।
क्या चौरासी में भाजपा-कांग्रेस देगा क्षेत्रीय दल देगा?
डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल्य है। इस सीट पर रोचक व त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। बीजेपी ने कारीलाल ननोमा को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने युवा सरपंच महेश रोत को प्रत्याशी बनाया है। इस क्षेत्र में खासा प्रभाव रखने वाली आदिवासी पार्टी ने युवा पंचायत समिति प्रधान अनिल कटारा को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय आदिवास पार्टी के राजकुमार रोत, 2018 में भाजपा से सुशील कटारा और विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस से महेंद्र सिंह मालवीया चुनाव जीते।