राजस्थानी कविताओं से रखी जनता की पीड़ा
कवि भीम पांडिया 80 और नब्बे के दशक में चुनावी मैदान में उतरे। वे तीन बार लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे। चुनावी प्रचार के दौरान उनकी डफली और सुर उनके साथ रहे। उन्होंने गीत और कविताएं सुनाकर लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। आलम यह था कि लोग रात को भी उनको रोक कर गीत-कविताओं की फरमाइश करते थे। उन्होंने राजस्थानी कविताओं से जनता की पीड़ा को उजागर किया। शासन-प्रशासन और नेताओं पर कटाक्ष किए। भीम पांडिया को वर्ष 1989 के चुनाव में 698 वोट, वर्ष 1991 के चुनाव में 603 और वर्ष 19976 के चुनाव में 1637 वोट मिले। विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाग्य आजमाया था।
आज भी याद करते हैं लोग…
पेंटर विष्णु व्यास अपने अलमस्त जीवन और नायाब चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध रहे। चुनाव विधानसभा का हो या लोकसभा का। पेंटर विष्णु व्यास की तूलिका जम कर चली। उनके बनाए चित्र और कार्टून लोग वर्षों बाद आज भी याद करते हैं। उनके बनाए गए कुछ चित्रों व कार्टून के विषय भी बताते हैं। दम्माणी चौक में उनकी ओर से चलाया जाने वाला चुनावी स्कोर बोर्ड सदैव सुर्खियों में रहा। उन्होंने नेताओं, राजनीतिक पार्टियों, शासन-प्रशासन पर करारे व्यंग्य चित्रों और कार्टून के माध्यम से किए। वे तीन बार लोकसभा चुनाव मैदान में भी उतरे। चुनाव प्रचार में चित्र और कार्टून उनके प्रमुख हथियार रहे। वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में 659 वोट, वर्ष 1989 में 2293 वोट और वर्ष 1991 में 417 वोट प्राप्त किए।