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बीकानेर

Rajasthan: प्रिंसिपल-टीचर के तबादले पर 3 घंटे में ही U-Turn, ये 8 चर्चित मामले जिन पर नहीं टिक पाया शिक्षा विभाग

Rajasthan Teachers Transfer: आठ महीने में आठवीं बार शिक्षा निदेशालय अपने निर्णय से पलटा है। पहले भी आदेशों पर प्रतिक्रिया होने पर विभाग बैकफुट पर आता दिखा है।

बीकानेरOct 16, 2024 / 07:03 am

Anil Prajapat

madan dilawar
Education Department News: बीकानेर। शिक्षा विभाग ने मंगलवार को तीन तबादला आदेशों में सरकारी स्कूलों के 40 प्राचार्य सहित 53 शिक्षकों के तबादला आदेश जारी कर तीन घंटे के भीतर ही प्रत्याहारित कर लिए। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। बीते आठ महीने में आठवीं बार शिक्षा निदेशालय अपने निर्णय से पलटा है। पहले भी आदेशों पर प्रतिक्रिया होने पर विभाग बैकफुट पर आता दिखा है।
ताजा आदेश मंगलवार को 11 बजे तबादले संबंधी वायरल होने शुरू हुए। इसके बाद मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का शिक्षा मंत्री को भेजा पत्र वायरल होने लगा। इसमें तबादला आदेश वापस लेने की अनुशंसा की गई थी। इसका असर दिखा और शिक्षा निदेशालय ने दोपहर 1 बजे तीनों तबादला आदेश वापस लेने की घोषणा कर दी।

आठ महीने में आठवीं बार पलटा अपना निर्णय

1. शिक्षकों का समायोजन: प्रदेश की सरकारी स्कूलों में अधिशेष 67 हजार शिक्षकों के समायोजन के लिए 18 सितंबर से प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी किए गए। कई जिला शिक्षा अधिकारियों ने इस पर काम भी शुरू कर दिया था। बाद में इस आदेश को प्रत्याहारित कर लिया गया।

2. प्रवेश की आयु: प्रवेशोत्सव से पहले नई शिक्षा नीति का हवाला देकर शिक्षा विभाग ने छह साल के बच्चों को ही स्कूलों में प्रवेश देने के आदेश जारी किए। इससे सरकारी स्कूलों में नामांकन की रफ्तार थम गई। शिक्षकों के इस आदेश का विरोध किया तो विभाग ने फैसला बदला और आंगनबाड़ी के पांच साल के बच्चों को प्रवेश देने का संशोधन किया
3. सौ दिन की कार्य योजना पर कायम नहीं: पिछले साल नवंबर में भाजपा सरकार बनने के बाद शिक्षा विभाग ने 100 दिन की कार्ययोजना तैयार की। इसमें शिक्षकों की तबादला नीति तैयार करने को भी शामिल किया। कुछ दिन बाद कार्ययोजना में संशोधन कर तबादला नीति वाली प्रतिबद्धता हटा दी।
    4. अंग्रेजी से हिंदी माध्यम: शिक्षा मंत्री के बयान के बाद शिक्षा विभाग ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा करने के निर्देश जारी किए। इसके लिए 38 बिंदुओं पर सर्वे भी करवाया गया। परन्तु बाद में अंग्रेजी से वापस हिन्दी माध्यम में करने के अपने निर्णय से पीछे हट गए।
    5. दूध योजना बंद कर पुन: चालू की: नए शिक्षा सत्र से सरकारी स्कूलों में पाउडर दूध की आपूर्ति बंद पड़ी थी। शिक्षा मंत्री ने सितम्बर में गहलोत सरकार के समय से चल रही बाल गोपाल दूध योजना में बदलाव कर स्कूलों में दूध की जगह मोटा अनाज देने की घोषणा की। बाद में सरकार ने पाउडर दूध की ही सप्लाई शुरू कर दी।
    6. मोबाइल पर प्रतिबंध: शिक्षा विभाग ने 4 मई को सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के मोबाइल रखने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए। इस पर शिक्षकों ने कड़ी प्रतिक्रिया की। इसके बाद कुछ शर्तों के साथ शिक्षकों को स्कूल में मोबाइल रखने की अनुमति के आदेश जारी कर दिए।
    7. सेटअप परिवर्तन 6 (3) का आदेश: गत 17 मई को विभाग ने पंचायती राज शिक्षकों की 6 (3) कर उनके सेटअप परिवर्तन का कार्यक्रम जारी किया। इसे लेकर कर्मचारियों की प्रतिक्रिया सामने आने पर इसे वापस ले लिया गया।
    8. तबादला आदेश: माध्यमिक शिक्षा विभाग ने मंगलवार को 40 प्राचार्य, 8 तृतीय श्रेणी शिक्षक व पांच प्रथम श्रेणी शिक्षकों के स्थानांतरण आदेश जारी किए। इसे कुछ देर बाद वापस ले लिया गया।

    Rajasthan education department

      पांच साल की डीपीसी लम्बित

      शिक्षा विभाग में सैकंड ग्रेड शिक्षकों की पांच साल से डीपीसी लम्बित है। इसके लिए विभाग ने सूचियां भी तैयार कर ली लेकिन एक भी शिक्षक की डीपीसी नहीं कराई है। शिक्षक संगठनों शिक्षा मंत्री एवं निदेशक को कई बार ज्ञापन देकर डीपीसी की मांग उठाई है।
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      निदेशक लगाकर हटाया

      गत 6 सितम्बर को राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी की। इसमें माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पद पर आईएएस डॉ. महेन्द्र खड़गावत को लगाया गया। आईएएस आशीष मोदी का तबादला चूरू जिला कलक्टर के पद पर किया गया। इसके अगले दिन डॉ. खड़गावत कार्यभार संभालने के लिए बीकानेर पहुंचे, विभाग में स्वागत की तैयारी के आदेश जारी हो गए। इसी बीच उन्हें कार्यभार ग्रहण करने से मौखिक आदेश से रोक दिया। इसके 18 दिन बाद 22 सितम्बर को डॉ. खड़गावत का तबादला शिक्षा निदेशक के पद से ब्यावर कलक्टर के पद पर किया गया।

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      शिक्षा विभाग का प्रबंधन चरमराया

      सरकार ने शिक्षा विभाग का मखौल बना दिया है। कोई भी आदेश जारी करने से पहले उसके गुण-अवगुण पर मंथन नहीं किया जाता। नतीजन बाद में उसे वापस लेने की नौबत आती है। इसका प्रतिकूल असर सरकारी शिक्षक और विद्यार्थियों को लेकर समाज में छवीं पर पड़ रहा है। ऐसा लग रहा है विभाग में प्रबंधन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
      -श्रवण पुरोहित, प्रदेश मंत्री राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)

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