अखिलेश यादव को बड़ा झटका, गैंगरेप के मामले में सपा के पूर्व मंत्री और विधायक को भेजा जेल
सरकारी कोटे की दुकान दिलाने के नाम पर घर में घुसकर महिला से गैंगरेप का मामला
एमपी, एमएलए स्पेशल कोर्ट ने सपा के पूर्व मंत्री और नगीना विधायक के खिलाफ की कार्रवाई
सामूहिक बलात्कार के तीन आरोपी पहले ही कर चुके हैं कोर्ट में सरेंडर
अखिलेश यादव को बड़ा झटका, गैंगरेप के मामले में सपा पूर्व मंत्री और विधायक को भेजा जेल
बिजनौर. पूर्व मंत्री और नगीना विधायक मनोज कुमार पारस को प्रयागराज की एमपी, एमएलए स्पेशल कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में जेल भेज दिया है। बता दें कि 13 जून 2007 को बिजनौर के नगीना थाने में मनोज पारस के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज हुआ था। विधायक मनोज पारस और उनके तीन अन्य साथियों पर एक महिला को सरकारी कोटे की दुकान दिलाने के नाम पर घर में घुसकर गैंगरेप का केस दर्ज हुआ था। इस मामले में तीन आरोपी जयपाल, अस्सु और कुंवर सैनी पहले ही कोर्ट में सरेंडर कर चुके हैं। अब अदालत 4 जून को जमानत अर्जी पर सुनवाई करेगी।
दरअसल सन 2007 में 13 जनवरी को कोर्ट के आदेश पर मनोज पारस के खिलाफ उनके गांव की एक महिला ने राशन की दुकान अलाॅट कराने के नाम पर सामूहिक बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में मनोज पारस समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। उस समय मनोज पारस हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले आये थे। इसके बाद नगीना कोर्ट ने 6 जनवरी 2012 को इनके खिलाफ वारंट जारी हुए और 16 जनवरी को ही धारा 82 की कार्यवाही करते हुए कुर्की का नोटिस जारी कर दिए गए थे। इसके खिलाफ मनोज पारस एडीजे प्रथम के कोर्ट में बताया कि उनके पास हाईकोर्ट का स्टे है। इसलिए उनकी गिरफ्तारी और कुर्की नहीं हो सकती है।
इस मामले में आठ जनवरी 2013 से कोर्ट में लगातार तारीखों को दौर चला। इस मामले को लेकर सपा के विधायक मनोज पारस ने एक बार फिर से हाइकोर्ट में एक रिट डाली थी, जिसमें विधायक ने नगीना कोर्ट में चल रहे सामूहिक बलात्कार के विचाराधीन मामले को निरस्त करने के लिए हाइकोर्ट में अपील की थी, लेकिन हाइकोर्ट ने उनकी अपील खारिज करते हुए रिट को कैंसिल करते हुए गैर जमानती वारंट जारी कर दिये थे। इसी को लेकर हाईकोर्ट की विशेष अदालत ने उनके प्रस्तुत होने पर जेल भेज दिया है।
बता दें कि सपा सरकार में पूर्व कर एवं स्टाम्प राज्य मंत्री मनोज पारस बिजनौर के नगीना विधानसभा से विधायक हैं। उनकी राजनितिक शुरुआत 1993 में जनता दल से हुई थी। वह विधायक रहे अपने चाचा सतीश कुमार के साथ रहते हुए उन्हीं से प्रभावित होकर राजीनीति में आए थे और सन 2000 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और सपा प्रत्याशी ओमवती से हार गए थे। इसके बाद सन 2007 में जब ओमवती बसपा में शामिल हो गईं तो मनोज पारस सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और एक बार फिर ओमवती से चुनाव हार गए। 2012 में वह दोबारा सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार जीत का स्वाद चखा। इसके बाद उन्हें प्रदेश का स्टाम्प राज्यमंत्री बना दिया गया।