भोपाल. टोक्यो ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीतनेवाले हॉकी प्लेयर विवेक सागर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुरीद है. 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस के अवसर पर उन्होंने पत्रिका के लिए विशेष लेख लिखा है. प्रस्तुत हैं विवेक सागर के विचार— 41 साल बाद ओलंपिक में हॉकी में मेडल मिलने से हॉकी जिंदा हो गई है। ये राष्ट्रीय खेल हॉकी के लिए बहुत बड़ी संजीवनी है। पहले मेरे जिले में 70 बच्चे ट्रायल में आते थे, लेकिन ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन के बाद अब 700 बच्चे ट्रायल के लिए आ रहे हैं। ये मोदी जैसे डायनामिक लीडर का ही विजन है कि हर मोर्चे के साथ देश खेल की दुनिया में अपना झंडा बुलंद करने की ओर अग्रसर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। जिंदगी में कभी सोचा नहीं था कि होशंगाबाद जिले के छोटे से गांव का लड़का कभी प्रधानमंत्री के साथ इस तरह से रूबरू होगा। प्रधानमंत्री का हर खिलाड़ी को नाम से जानना, उसके बारे में छोटी-छोटी बातें जानना और उनसे डिस्कस करना दिल को छूने वाला अनुभव रहा। कभी नहीं सोचा था कि देश में ऐसा भी दिन आएगा जब प्रधानमंत्री खुद हर खिलाड़ी से बात करेंगे, और सिर्फ जीतने वालों से नहीं, हारने वालों से भी।
छोटी सी उम्र में जब किताब से पहले हाथ में हॉकी पकड़ी थी तो दिल में बस यही आस थी कि देश के लिए खेलना है। मेडल जीतना है। राष्ट्रीय खेल हॉकी के कम होते महत्त्व के बीच जी तोड़ मेहनत की। पारिवारिक और आर्थिक परेशानियों से जूझते हुए आज जिस मुकाम तक पहुंचा हूं, उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का खेलों के लिए समर्पण और जुनून का बड़ा योगदान है। प्रधानमंत्री मोदी और सरकार खेलों को काफी सपोर्ट कर रही है।
‘खेलो इंडिया’ इसकी सबसे बड़ी मिसाल है। योजना के तहत राज्यों में स्पोट्र्स एकेडमी खुली हैं, जिससे उभरते खिलाडिय़ों को प्लेटफॉर्म मिल रहा है। यह एक अभूतपूर्व योजना है। खेलो इंडिया देश में खेल-खिलाडिय़ों के लिए विकास और विस्तार के अनंत द्वार खोलने वाली पहली योजना है। इसके अंतर्गत सरकार देश में खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दे रही है। वक्त के साथ योजना में बदलाव भी किए गए हैं।
योजना के तहत भारत सरकार ने वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक खेलो इंडिया प्रोग्राम पर 1756 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई थी। इसमें अखिल भारतीय स्पोट्र्स स्कॉलरशिप योजना भी शामिल है, जिसके तहत हर साल चुनिंदा खेलों में एक हजार प्रतिभावान खिलाडिय़ों को छात्रवृत्ति दी जा रही है। चुने गए हर एथलीट को एक साल में 5 लाख रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है, यह स्कॉलरशिप उन्हें आठ साल तक दी जा रही है।
इसका उद्देश्य देश में खेलों की स्थिति और स्तर में सुधार करना है। सरकार ने योजना के तहत 2021-22 से 2025-26 तक के लिए करीब 8750 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान लगाया है। खेलो इंडिया स्कीम का ही असर है कि 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भारत ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है। उम्मीद है कि आने वाले सालों में हमारा देश ओलंपिक मेडल टैली में और सशक्त होकर उभरेगा।
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