स्वास्थ्य विभाग ने एच3एन2 वायरस की जांच के लिए अब तक कोई प्रोटोकॉल तय नहीं किया है। ऐसे में कई लोग डर के कारण सामान्य वायरल को भी वायरस मानकर जांच करा रहे हैं। यही वजह है कि निजी लैब इसका फायदा उठा रही हैं। जांच के नाम पर 800 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि एच3एन2 से घबराने की जरूरत नहीं है। यह सामान्य वायरल जैसा ही है।
स्वास्थ्य आयुक्त सुदाम खाड़े ने बताया कि एच3एन2 को लेकर प्रदेश में अलर्ट जारी किया है। जिन लोगों को सीजनल इनफ्लूएंजा वैरिएंट होने की आशंका हो वे जांच कराने के साथ ओसल्टामिविर(टेमीफ्लू) शुरू करें।
विभाग क्या करेगा?
खाड़े ने बताया कि राज्य में जिस स्थान पर ज्यादा मरीज मिलेंगे, वहां रेपिड रिस्पॉन्स टीम भेजकर सर्वे कराएंगे। कुछ मामलों में ही मोटे, वृद्ध अथवा गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीजों को भर्ती करने की जरूरत होती है।
तैयारियों का दावा
स्वास्थ्य आयुक्त ने कहा, टास्क फोर्स की बैठक में अस्पताल की तैयारी, दवाइयों की उपलब्ता, ऑक्सीजन की उपलब्ता की जांच के निर्देश दिए हैं। सी कैटेगरी के रोगियों के सैम्पल अनिवार्य रूप से लैब में भेजे जाएंगे।
कोरोना जैसे लक्षण
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) का कहना है कि इन दिनों कोरोना जैसे लक्षण दिखने की वजह एक अन्य तरह का इनफ्लूएंजा (ए सबटाइप एच3एन2) वायरस है, जो जानलेवा नहीं है। इसलिए किसी को घबराने की जरूरत नहीं है।
बेहतर इम्यून सिस्टम जरूरी
गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. लोकेन्द्र दवे ने बताया कि वातावरण में लाखों वायरस हैं, जो बदलते मौसम के साथ शरीर पर अटैक करते रहते हैं। एच3एन2 इनफ्लूएंजा भी इन्ही में से एक है। शरीर में इन वायरस के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, ऐसे में वायरस नए वैरिएंट के रूप में हमला करता है।
छोटे बच्चों को ज्यादा खतरा
इंदौर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमंत जैन ने बताया, इस समय एडिनो वायरस और एच3एन2 इनफ्लूएंजा वायरस में से कौन सा है, यह बताना मुश्किल है। यह जरूर है कि इससे 1 से 10 वर्ष के बच्चों को खतरा ज्यादा है। ऐसे में घर में किसी को भी बुखार सर्दी-खांसी, गले में खराश, आंखें लाल हो रही हैं तो बड़ों को बच्चों से दूर रहना चाहिए।
भोपाल में एम्स में हो रही जांच
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के माइक्रो बायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. देबासिस विश्वास ने बताया कि प्रदेश में चार लैब को एच3एन2 के सैम्पल जांचने की जिम्मेदारी है। इसमें एम्स की रीजनल वायरोलॉजी लैब में जांच हो रही है। गांधी मेडिकल कॉलेज की स्टेट वायरोलॉजी लैब में अब तक किट नहीं आई है। सोमवार को किट आने का अनुमान है, इसके बाद यहां जांच शुरू हो सकेगी।
इसलिए घबराएं नहीं, क्योंकि पहला मरीज पूरी तरह स्वस्थ
बैरागढ़ (भोपाल) के 26 वर्षीय युवक की रिपोर्ट में वायरस की पुष्टि हुई थी। पत्रिका से बात करते हुए युवक ने बताया कि रिपोर्ट आने के बाद उसने खुद को आइसोलेट कर लिया था। घर में डॉक्टर हैं, इसलिए उनकी सलाह पर जांच कराई थी। अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं। किसी तरह की परेशानी नहीं है।
अस्पतालों में एक माह में ऐसी बढ़ी संख्या-
शहर : फरवरी : मार्च
भोपाल : 2553 : 3270
इंदौर : 1978 : 2584
ग्वालियर : 3115 : 3297
जबलपुर : 1474 : 1772
छिंदवाड़ा : 885 : 1248
सतना : 414 : 1022
शहडोल : 154 : 574
नर्मदापुरम : 500 : 750
पत्रिका ने बड़े शहरों से 17 फरवरी (एक दिन) और फिर एक माह बाद यानी 18 मार्च के सरकारी अस्पताल/मेडिकल कॉलेज ओपीडी के आंकड़े जुटाए। इनमें अंतर साफ है। फरवरी में मरीजों की संख्या कम थी, वहीं मार्च में कई शहरों में आंकड़ा डेढ़ गुना तक हो गया। इससे कहीं ज्यादा लोगों ने निजी अस्पतालों में जांच कराई है।