इसके लिए मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा नीति 2022 में इसके प्रावधान कर दिए गए हैं। खास बात ये कि सोलर सिटी के रूप में चयनित होने के बाद इन शहरों की पूरी बिजली को धीरे-धीरे करके चरणबद्ध तरीके से सौर ऊर्जा या अन्य नवकरणीय ऊर्जा पर शिफ्ट किया जाएगा। कोयले की थर्मल बिजली इन शहरों से धीरे-धीरे बाहर कर दी जाएगी। सबसे पहले वर्ष 2027 तक सांची और खजुराहो में 30 फीसदी बिजली सौर ऊर्जा पर शिफ्ट करने का लक्ष्य तय कर लिया गया है।
सोलर सिटी मतलब-
सोलर सिटी के रूप में शहर को विकसित करने का अर्थ ये है कि उस शहर की सभी बिजली सबंधित जरूरतें सौर ऊर्जा या अन्य नवकरणीय ऊर्जा से पूरी की जाएगी। इसमें कुल उपयोग की 30 फीसदी खपत को सौर ऊर्जा पर शिफ्ट किया जाएगा। इसके खेती के फीडर, औद्योगिक फीडर, व्यावसायिक फीडर और घरेलु फीडर पर भी सौर ऊर्जा दी जाएगी। इसके लिए 6 किलोवाट से ज्यादा लोड वाले सारे घरेलु, व्यावसायिक, खेती और उद्योग के कनेक्शन सौर या नवकरणीय बिजली पर चरणबद्ध तरीके से शिफ्ट किए जाएंगे। यहां तक कि इन शहरों में ई-व्हीकल के लिए भी सौर ऊर्जा को ही प्राथमिकता पर रखा जाएगा।
सांची-खजुराहो के बाद और कौन?
प्रदेश में विश्व धरोहर स्थल व शहर के रूप में सांची और खजुराहो के अलावा ओरछा, ग्वालियर और भीमबैठका चयनित हैं। इसलिए सांची और खजुराहो के बाद इनकी बारी आएगी। सांची व खजुराहो प्रोजेक्ट के आधार पर बाकी शहरों के प्रोजेक्ट को मोडिफाई करके लागू करेंगे। इन पांच जगहों के बाद प्राचीन धरोहर और पर्यटन महत्व के दूसरे शहरों को अपनाया जाएगा।
अक्षय गांव अलग से बनेंगे-
सिर्फ धरोहर सिटी ही नहीं प्रदेश में अक्षय ग्राम भी बनाए जाएंगे। ये ऐसे गांव होंगे, जहां का पूरा बिजली उपयोग सौर ऊर्जा पर शिफ्ट किया जाएगा। यानी घर, खेत, उद्योग व दुकान सभी पूरी तरह अक्षय ऊर्जा के जरिए रोशन होंगे। इसके लिए चरणबद्ध तरीके से गांवों का चयन होगा।
सोलर सिटी के हैं ये स्टेप-
– पहले सोलर ग्रीन सिटी का चयन। फिर शहर के सभी सरकारी दफ्तर के उपयोग को सौर ऊर्जा में शिफ्ट करना।
– सरकारी दफ्तर, जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइट, स्कूल, आंगनवाड़ी, अस्तपाल, बाग-उद्यान आदि सौर ऊर्जा पर शिफ्ट करना।
– 6 किलोवॉट से ज्यादा भार वाले सभी घर, संस्थान, दुकान, उद्योग-संस्थान आदि को 50 प्रतिशत खपत तक सौर ऊर्जा पर ले जाना। घरों पर रूफटॉफ लगाना।
– फेरीवाले, स्ट्रीटवेंडर अन्य दुकानदारों को सौर ऊर्जा लालटेन आदि के लिए अनुदान देना, खेती के फीडर को सौर ऊर्जा पर ले जाना।
– संबंधित क्षेत्र में निजी संस्था व लोगों को सौर ऊर्जा उत्पादन में प्रोत्साहित करना, अनुदान देना, नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन व आपूर्ति बढ़ाना।
– ई-व्हीकल के मामले में सौर ऊर्जा के चार्जिंग स्टेशन देना। चार्जिंग की पचास फीसदी खपत को सौर ऊर्जा पर शिफ्ट करना।
खजुराहो-सांची का वैश्विक महत्व और ब्रांडिंग…
खजुराहो और सांची सहित पांचों धरोहर शहरों का वैश्विक महत्व हैं। ये पांचों वैश्विक धरोहर में चयनित है। इसलिए यहां पर देसी के साथ विदेशी पर्यटन काफी है। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटन वाले शहरों में ये शुमार है, इस कारण इनका चयन सोलर सिटी के लिए कहा गया है। इसके जरिए मध्यप्रदेश पूरे देश सहित विदेशों तक कार्बन रेटिंग और सौर ऊर्जा का संदेश देकर ब्रांडिंग कर सकेगा।
फैक्ट फाइल-
– 02 शहर अभी सोलर सिटी के लिए चयनित
– 05 शहर-स्थल सोलर सिटी बनने की राह पर
– 2030 तक 50 फीसदी बिजली खपत सौर ऊर्जा से करने का लक्ष्य
– 5000 मेगावाट लगभग अभी सूबे में नवकरणीय ऊर्जा का उत्पादन
– 30 हजार मेगावाट नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन के प्रोजेक्ट प्लान में
– 22500 मेगावाट बिजली की उपलब्धता के अभी प्रदेश में दावे
– 11500 मेगावाट बिजली की सामान्यत: प्रतिदिन मांग प्रदेश में
– 16500 मेगावाट मांग इस बार दीपावली पर होने का अनुमान