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दिनों बिल्डरों और परिवहन विभाग के पूर्व कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी के दौरान 19 दिसंबर को कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकद बरामद हुए थे। गोपनीय धन और कथित डायरी, दोनों घटनाएं आपस में जुड़ी नजर आ रही हैं। अब तक नकदी और सोने के असली मालिक का पता नहीं चला। जांच में इशारा मिला है कि बरामदगी का संबंध परिवहन विभाग के कथित भ्रष्टाचार से है।
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सूत्रों के अनुसार, डायरी(Saurabh Sharma Secret Diary) में कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया है। उदाहरण के लिए, ‘बी’, ‘यू’, और ‘जी’ जैसे शब्दों के साथ रकम लिखी गई है। इनमें से ‘जी’ और ‘यू’ को वीआइपी श्रेणी के रूप में चिह्नित किया गया है। कुछ विधायकों के पूरे नाम भी दर्ज हैं। जानकारी के मुताबिक, भाजपा के 10 और कांग्रेस के 7 विधायकों के नाम सूची में हैं। अधिकतर नाम सीमावर्ती जिलों से संबंधित हैं, जहां टोल नाकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। इसके अलावा, 12 अधिकारियों के नाम भी हैं। कुछ नामों के आगे ‘चेतन’, ‘प्यारे’ और ‘एक्स’ लिखा गया है, जिन्हें कथित तौर पर बिचौलिये के रूप में देखा जा रहा है।
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इस डायरी(Saurabh Sharma Secret Diary) पर सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने डायरी सार्वजनिक कर उसका सत्यापन कराने की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि डायरी 2000 करोड़ रुपए से अधिक के लेन-देन का दस्तावेज है। पटवारी ने सरकार व एजेंसियों पर आरोप लगाया कि वे इस डायरी को छुपाने की कोशिश कर रही हैं। गौरतलब कि पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव पहले ही कह चुके हैं कि इस डायरी में चाहे जिसका नाम निकले, उनका नाम नहीं हो सकता है।
सरकार का एक्शन, डीपी गुप्ता को हटाकर विवेक शर्मा को जिम्मा
पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की काली कमाई उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने परिवहन विभाग में पहली बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की है। परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता की जगह पुलिस मुख्यालय से एडीजी विवेक शर्मा को परिवहन आयुक्त बनाया है। डीपी गुप्ता की सेवाएं परिवहन विभाग से वापस लेकर पुलिस मुख्यालय अटैच किया है। अभी उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी। एडीजी विवेक शर्मा की सेवाएं परिवहन को सौंप उनकी जगह एडीजी योगेश चौधरी को पीएचक्यू में योजना का अतिरिक्त दायित्व दिया है। गुप्ता 10 महीने परिवहन आयुक्त रहे। परिवहन उपायुक्त उमेश जोगा के तबादले के बाद से ही लगातार विवाद उठते रहे हैं। परिवहन आयुक्त रहते हुए गुप्ता और जोगा में खींचतान थी। दोनों साथ नहीं बैठते थे। परिवहन आयुक्त ज्यादातर समय भोपाल कैंप ऑफिस में रहते, जबकि जोगा ग्वालियर परिवहन आयुक्त कार्यालय से काम करते। सौरभ शर्मा और आरटीओ बैरियर से कमाई का विवाद उठा, तब भी गुप्ता निष्क्रिय बने रहे। राज्य सरकार ने परिवहन पर लगे दाग को धोने के लिए सबसे पहले आयुक्त को हटाया है।
परिवीक्षा अवधि में ही उस्ताद बन गया सौरभ
29 अगस्त 2016 को सौरभ की परिवहन विभाग में दो साल के लिए अस्थाई नियुक्ति हुई। परिवीक्षा अवधि के दौरान ही सौरभ सांठगांठ का उस्ताद बन गया। इस दौरान ही उसने ऐसी सांठगांठ की कि 7 साल चांदी कूटता रहा। सवाल खड़े हो रहे हैं कि उसके ऊपर कितने रसूखदारों का हाथ था।