इन प्रॉपर्टी की कीमत 250 करोड़ रुपए से ज्यादा है। 18 दिसंबर को राजधानी के बिल्डरों की तीन कंपनियों के 52 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा। इनमें 49 ठिकाने भोपाल, 2 इंदौर और एक ग्वालियर में थे। पांच दिन की जांच में करोड़ों की बेनामी प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले।
महंगे दाम पर बेची
24 से ज्यादा बैंक लॉकर, 10 करोड़ नगद और जेवरात शामिल थे। प्रॉपर्टी के कागजात की छानबीन से पता चला कि बिल्डरों ने बड़े पैमाने पर नीलबड़-रातीबड़ क्षेत्र में जमीन खरीदकर उन्हें महंगे दाम पर बेची, कम कीमत पर रजिस्ट्री कराई। कई प्रॉपर्टी को मजदूरों और कर्मचारियों के नाम पर दिखाया। आयकर विभाग ने ऐसी प्रॉपर्टीज के लिए आइजी पंजीयन और भोपाल के वरिष्ठ जिला पंजीयक को पत्र भी लिखा है। आयकर को आशंका है कि छापे की कार्रवाई के बाद बिल्डर अपनी प्रॉपर्टी किसी को बेच सकते हैं। जिन लोगों के नाम इस दौरान सामने आए, उनके बयान लेना भी शुरू कर दिया, इनमें रायपुर का खनन कारोबारी भी शामिल है। खनन कारोबारी ने 50 करोड़ रुपए नकद भुगतान किया था और जिन बिल्डरों के यहां जांच हुई, उनसे कारोबारी के मित्रवत संबंध है।
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पिछले दिनों बिल्डरों और परिवहन विभाग के पूर्व कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी के दौरान 19 दिसंबर को कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकद बरामद हुए थे। गोपनीय धन और कथित डायरी, दोनों घटनाएं आपस में जुड़ी नजर आ रही हैं। अब तक नकदी और सोने के असली मालिक का पता नहीं चला। जांच में इशारा मिला है कि बरामदगी का संबंध परिवहन विभाग के कथित भ्रष्टाचार से है।