भोपाल. बारिश में खुले पड़े अनाज की तस्वीरें तो आपको याद होंगी ही। क्या हुआ इस अनाज का? हम बताते हैं। भंडारण के अपर्याप्त इंतजामों के चलते बारिश का पानी लगा और वह सड़ गया। अब सरकार इस सड़े हुए अनाज को बेचने की जुगाड़ कर रही है। जिम्मा दिया है, मप्र खाद्य एवं आपूर्ति निगम को। निगम ने बिक्री की शुरुआत गाडरवाड़ा और सिवनी में सड़े अनाज से की है। इन दो क्षेत्रों में हुई सरकारी खरीदी के अनाज में से 1.25 लाख क्विंटल सड़ गया। 93 हजार क्विंटल गेहूं और 30 हजार क्विंटल से अधिक धान। सरकार चाहती है कि इसे बेचकर मुक्ति पा ली जाए। डेढ़ हजार रुपए क्विंटल की दर पर खरीदे इस इस अनाज की कीमत अब चार गुना तक कम हो गई है। अब इसे बेचने में सरकार को पसीना आ रहा है। हालांकि इसे बेचने की सरकारी कवायद फिलहाल सफल होती नजर नहीं आ रही। इसे वही एजेंसी खरीदेगी, जो सड़े हुए अनाज का उपयोग करती होगी या फिर कहीं न कहीं विभाग की ही आपूर्ति व्यवस्था में इसे मिलाकर लोगों तक पहुंचाने की क्षमता रखती होगी। बिक्री से जुड़ी पूरी प्रक्रिया विभाग की उपार्जन शाखा के एसके सोनी देख रहे हैं। इनके अनुसार इसकी बिक्री पर अंतिम मुहर विभाग के एमडी फैज एहमद किदवई ही लगाएंगे। फिलहाल किदवई इस पूरे मामले पर कुछ भी कहना नहीं चाहते।
आटा बनेगा या पशु आहार में जाएगा
अनाज व्यापारियों के अनुसार सड़ा हुए अनाज का एक ही उपयोग रहता है पशु आहार बनाना। एेसे अनाज की बिक्री भी इसी नाम से की जाना चाहिए। उनके अनुसार यदि आम व्यापारी इस तरह का सड़ा अनाज बेचता है तो सरकारी उसपर कार्रवाई कर देती है, लेकिन ये सरकारी है इसलिए कार्रवाई नहीं की जा रही। सड़ा अनाज होने से यह तीन से चार गुना कम दाम पर ही बिकेगा।
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