तेंदूपत्ते की बिक्री में आ रही साल-दर-साल आई गिरावट के कारणों को जानने के लिए मध्यप्रदेश लघु वनोपज संघ एक सर्वे कराने की तैयारी कर रहा है। सर्वे में इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि प्रदेश में कितने लोग बीड़ी पीते हैं और तंबाकू का उपयोग गुटखा और पान मसालों कितनी मात्रा में हो रहा है।
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सर्वे रिपोर्ट के आधार पर संघ श्रमिकों के रोजगार के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने का प्रयास करेगा।
तेंदूपत्ते के भाव में हर साल 700 से 800 रुपए प्रति मानक बोरा के मान से कमी आ रही है। वर्ष 2017 और 2019 के बीच में तेंदूपत्ते के भाव में 16 सौ रुपए प्रति मानक बोरा की कमी आई है। जबकि लघु वनोपज संघ ने इसकी गुणवत्ता और रख-रखाव में बेहतरी के लिए गुणात्मक प्रयास किए हैं। इसकी क्वालिटी पर नजर रखने के लिए हर फड़ पर एक अलग से वनकर्मी की नियुक्ति जाती है।
पानी और सीलन से बचाने के लिए बंद गोदामों का इंतजाम किया जाता है। इसके बाद भी इसकी बिक्री धीरे-धीरे घटती जा रही है। अब हरे पत्तों की बिक्री के बाद सूखे पत्ते उठाने और खरीदने में व्यापारी पीछे हटने लगे हैं। पिछले दो वर्षों का ३.५० लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता अभी तक नहीं बिका है।
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इसे बेंचने के लिए कई बार निविदा जारी की गई, लेकिन व्यापारी खरीदने के लिए ही तैयार नहीं हो रहे हैं। संघ के अधिकारियों का कहना है कि बीड़ी की मांग कम होने से फरवरी-मार्च में जो हरे तेंदू के पत्ते खरीदे लेते हैं, उतने की ही बीड़ी व्यापारी नहीं बेंच पा रहे हैं। इसके चलते सूखे पत्ते वे नहीं खरीद रहे हैं। बीड़ी पीने वाले लोंगों की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है। इसके चलते तेंदूपत्ते की बिक्री भी धीरे-धीरे कम हो रही है। इससे तेंदूपत्ता संग्रहण और इसके फड़ तैयार करने में लगे 9 लाख श्रमिकों के सामने भविष्य का संकट खड़ा हो गया है।
पेड़ों की छटाई हुई कम तेंदूपत्ता बिक्री कम होने से तेंदू के पेड़ों की कलम और छटाई का काम भी श्रमिकों ने कम कर दिया है। सीधी, रीवा, सतना सहित कई जिलों में तेंदूपत्ता संग्रहण का क्षेत्र कम होते जा रहा है। इसकी मुख्य वजह यह कि श्रमिकों को कलम करने, पत्तांे की तुड़ाई और उसे से सुखाने में जितना श्रम और समय लगता है उतनी उसकी कीमत नहीं मिल रही है।
तेंदूपत्ता के साथ तंबाकू की खेती पर जोर लघु वनोपज संघ श्रमिकों से तेंदूपत्ता के साथ तंबाकू की खेती कराने पर विचार कर रही है। इसके लिए विभिन्न नियम और प्रावधानों का परीक्षण करा रही है। संघ का मानना है कि तेंदू पत्ता के साथ ही अगर उन्हें तंबाकू उत्पादन से जोड़ा जाएगा तो वे रोजगार की तलाश में शाहर की तरफ पलायन नहीं करेंगे। इसके साथ ही व्यापरियों को तेंदूपत्ता के साथ ही सिगरेट, गुटखा और पान मसाले के लिए श्रमिकों के पास से तंबाकू भी मिल जाएगा।
तेंदूपत्ते की बिक्री में हर साल कमी आ रही है। इससे श्रमिकों के सामने रोजगार की समस्या खड़ी हो रही है। तेंदूपत्ता की घटती बिक्री को जानने और तंबाकू के उपयोग के संबंध में एक सर्वे कराने पर विचार किया जा रहा है।