दिग्विजय सिंह बोले- भारतीय संविधान के प्रियंबल को नहीं मानता संघ
पूर्व सीएम और राज्यसभा सासंद दिग्विजय सिंह ने कहा कि हमारी लड़ाई संघ से जुड़े हुए लोगों के साथ है। आरएसएस अपने आप को सांस्कृतिक बॉडी कहता है। वह नॉन रजिस्टर्ड संगठन है। उसकी कोई मेंबरशिप नहीं है और न ही कोई खाता। फिर भी वह अपने आप को सबसे बड़ा संगठन मानता है। संघ बाबा साहेब और भारतीय संविधान के प्रियंबल को नहीं मानता। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया वह अपने मोबाइल फोन में प्रियंबल को रखे।
खेलना होगा माइंड गेम
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि हमें माइंड गेम खेलना होगा। राजनीति करनी है तो संपर्क, संवाद, समन्वय, तालमेल और सकारात्मक सोच के साथ काम करना होगा। आगे उन्होंने बताया कि हमेशा से संघ और बीजेपी ने संविधान का विरोध किया है। वह अपने कार्यालय में झंडा नहीं लगाते थे। साल 2001 में कांग्रेस ने नागपुर कार्यलय में तिरंगा फहरा दिया। जिसके बाद उन्हें कार्यकर्ताओं को जल जाना पड़ा। साल 2022 तक तिरंगा झंडा थाने में जब्त रहा। हमने केस लगाया और तब जाकर झंडा वापस हुआ।
अच्छे नागिरक बने, प्रेम से रहो
दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि विचारधारा से जुड़ रहे हैं तो इसके लिए जीवन समर्पित करना है। यह विचारधारा भारत के हजारों वर्षों की संस्कृति और संस्कार है। इसे संघ द्वारा बिगाड़ा जा रहा है। हम उस देश के लोग हैं। जिसमें सबसे पुराना धर्म सनातन है। सभी धर्मों का अध्ययन किया जाए तो आप देखेंगे कि उनमें एक ही समानता है। अच्छे नागिरक बनो, सच बोलो, प्रेम और सद्भाव से रहे और अहिंसा का रास्ता अपनाओ। नफरत से देश का विकास नहीं होता।
दिग्विजय ने बताई स्ट्रेटजी
दिग्विजय सिंह ने कार्यकर्ताओं को कांग्रेस का इतिहास पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि संघ से लड़ना है तो दिमाग से लड़ना होगा। जिंदाबाद करने लड़ नहीं पाएंगे। जिंदबाद करने से भाजपा नहीं हार पाएगी।