जांच अधिकारी जस्टिस गोहिल की रिपोर्ट के अनुसार गवाहों के बयान, परीक्षा शाखा के रिकॉर्ड का परीक्षण करने पर यह पाया है कि रिकॉर्ड के साथ छेडख़ानी की गई है। यह स्पष्ट हुआ कि बिना किसी सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट के टेबुलेशन चार्ट में ओवरराइटिंग, काटकर, रगड़कर और व्हाइटनर का उपयोग कर नंबर बदले गए और बढ़ाए गए। इस विधि के द्वारा कई फेल छात्रों के नंबर बढ़ाए गए। इसलिए यह केस सीधे तौर पर जालसाजी करने के साथ धोखाधड़ी और विवि के वास्तविक रिकॉर्ड में बदलाव कर गलत दस्तावेज बनाए में आपराधिक साजिश की गई।
उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं
जस्टिस गोहिल ने लिखा है कि इन परिस्थितियों को देखते हुए यूनिवर्सिटी के हित में मेरे पास इनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण या एफआइआर दर्ज कराने की अनुशंसा के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। इसलिए इनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के साथ सख्त अनुशासनात्मक कदम भी उठाए जाने चाहिए।
इन 9 के खिलाफ आपराधिक के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है: रंजीत कुमार सिंह, विनय कुमार, प्रो. यूपी सिंह, प्रो. तपन आर. मोहंती, धीरेंद्र कुमार सिंह, कमलेश श्रीवास, नारायण प्रसाद, सी. राजशेखर, अरीफ उद्दीन अहमद खान
इन 6 के खिलाफ सिर्फ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है:
डॉ. गयूर आलम, डॉ. कविता सिंह, रवि पांडे, आरकेएस गौतम, पूर्व रजिस्ट्रार व पूर्व न्यायिक सेवा अधिकारी। डॉ. मोनिका राजे, अंकित शर्मा