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1500 प्राइमरी/मिडिल स्कूलों में स्टीम मॉडल पायलट प्रोजेक्ट
राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने से प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने पढ़ाने की पद्धति में बदलाव करने की योजना बनाई है। स्टीम मॉडल के जरिए स्कूलों में नैतिक शिक्षा, आर्ट, साइंस, म्यूजिक, पर्सनालिटी डेवलपमेंट, योगा, टेक्नोलॉजी और स्किल डेवलपमेंट पर आधारित बेसिक शिक्षा भी छात्रों को दी जाएगी। इस सत्र से प्रदेश के 1500 प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्टीम मॉडल लागू किया जा रहा है। राज्य शिक्षा केंद्र ने भी इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
टीचर्स को दी जा रही स्पेशल ट्रेनिंग
पहली से आठवीं कक्षा के लिए सभी विषयों को समायोजित कर वर्कशीट तैयार कर ली गई है। इसमें उन स्कूलों का चयन किया गया है, जो मिशन-10,000 के तहत चुने गए हैं। साथ ही, जिन स्कूलों के प्राचार्य इस पद्धति को समझने के लिए दक्षिण कोरिया गए थे। इस पद्धति को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दी जाने लगी है।
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6वीं कक्षा से छात्रों को करना होगा सब्जेक्ट का चयन
स्टीम मॉडल के तहत शिक्षा दिये जाने वाले सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं तक हिंदी, अंग्रेजी, गणित के साथ नैतिक, संस्कृति व संस्कार की शिक्षा दी जाएगी। छठवीं से विद्यार्थियों की रुचि के अनुरूप कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें कम्प्यूटर, तकनीक, कला, अभियांत्रिकी आधारित शिक्षा होगी।
स्टीम मॉडल के तहत पढ़ाने की वजह
स्टीम मॉडल में दक्षिण कोरिया की तरह स्टूडेंट्स को सभी विषयों को आपस में समायोजित कर पढ़ाया जाएगा, जिससे बच्चों का समग्र विकास हो सके। उदाहरण के तौर पर हिंदी विषय में कला को समाहित करते हुए स्वर व व्यंजन को गीतों में पिरोकर पढ़ाया जाएगा। इसके लिए विभाग ने शंकर महादेवन अकादमी से एक वीडियो तैयार कराया है।
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कमिश्नर राज्य शिक्षा केंद्र का ऑफिशल स्टेटमेंट
राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त लोकेश कुमार जाटव के मुताबिक, पहले चरण में प्रदेश के 1500 स्कूलों में स्टीम एजुकेशन सिस्टम लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसमें एक साथ कई विषयों को समायोजित कर पढ़ाया जाएगा। पढ़ाने के लिए किताब और गतिविधि पर आधारित एक वर्कशीट तैयार भी बनाई जा रही है।
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