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इस वजह से किया गया योजना में बदलाव
स्टेट हेल्थ एजेंसी के मुताबिक, उदाहरण के तौर पर योजना के तहत सड़क दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति के सिर का इलाज तो निजी अस्पतालों हो जाता है, लेकिन हड्डियों से संबंधित यानी ऑर्थोपेडिक का इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही मिलता है। एजेंसी के मुताबिक, योजना के मसौदे से ऐसे नियम बने थे कि, मरीजों को निजी अस्पतालों में आधा-अधूरा इलाज ही मिल पाता था और इसका फायदा निजी अस्पतालों को होता था।प्राइवेट हॉस्पिटल्स में मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद उनको अपनी जेब से पैसे देने पड़ते थे। जैसे पहले आयुष्मान योजना से ब्रेस्ट केंसर की सर्जरी निजी अस्पताल में हो जाती थी, लेकिन कीमोथैरेपी की व्यवस्था सिर्फ सरकारी अस्पताल में ही होती थी। ऐसे में सर्जरी कराने आए मरीज को मजबूरन पैसे देकर थेरेपी करानी पड़ती थी।
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इन केसेज का इलाज भी सरकारी के साथ प्रेइवेट अस्पताल में संभव
ट्रॉमा केस में दिमागी चोट का इलाज प्राइवेट अस्पताल में मिल जाता था, लेकिन हड्डी के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में ही जाना पड़ता था। इसी प्रकार बर्निंग केस में 40 फीसदी से कम जले हुए मरीजों को ही निजी अस्पतालों में आयुष्मान से लाभ मिल पाता था। योजना में बदलाव के बाद अब इस पैकेज को ओपन कर दिया गया है, जिसके बाद मरीज अब अब अपनी सुविधा के अनुसार, अपनी मर्जी के मुताबिक पूर्ण इलाज का सकेंगे।
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इसे छोड़कर ओपन हुए ये पैकेज
उज्जैन के गुरुनानक अस्पताल में 547 महिलाओं की बच्चेदानी निकाले जाने का मामला सामने आने के बाद निरामयम मप्र के सीईओ जे विजयकुमार ने सभी प्रकार की लेप्रोस्कोपिक हिस्टेकटॉमी ऑपरेशन बंद कर दिए हैं. अब सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही आयुष्मान योजना के तहत बच्चेदानी का ऑपरेशन संभ होगा। वहीं, डेंगू, हार्ट अटैक और कैंसर से जुड़े ये इलाज अब ओपन कैटेगरी में मेडिकल मैनेजमेंट यानी एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी के पहले होने वाली जांचों और दवाओं का लाभ सिर्फ सरकारी अस्पतालों में मिलता था। ऐसे ही मेडिकल अंकोलॉजी में ब्लड कैंसर, रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योर बेबी की लेजर थैरेपी समेत ईएनटी के लगभग 46 पैकेज भी अब ओपन किये गए हैं। इसी तरह पहले डेंगू का इलाज सरकारी अस्पताल में ही संभ था, जिसे अब ओपन कैटेगरी में शामिल कर दिया गया है।
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स्टेट हेल्थ एजंसी ने किये ये बदलाव
आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब पीड़ित कुल 1400 बीमारियों का पैकेज दिया गया है। इनमें पहले सरकारी अस्पतालों के लिए 472 पैकेज रिजर्व थे। अब 241 पैकेज को ओपन फॉर ऑल कर दिये गए हैं। हालांकि, कुछ सीवियर इश्यूज के लिए अब भी 231 पैकेज सरकारी अस्पतालों के लिए ही आरक्षित रखे गए हैं। योजना में किये गए इस बदलाव को करने का उद्देश्य सिर्फ मरीजों को होने वाली परेशानी को देखते हुए किया गया है। हालांकि, सरकारी आरक्षित सभी पैकेजों को ओपन कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया है। कुछ सीवियर केसेज को छोड़कर मरीज अपनी सुविधानुसार एम्पैनल्ड हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट करा सकेंगे। इसका अलावा योजना के तहत उपचार कराने वाले उपचार की मॉनिटरिंग सिस्टम को भी मजबूत किया गया है।