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देर से जारी की गई गाइडलाइन- मूर्तिकार
मूर्तिकारों की मानें तो वैसे भी मूर्ति निर्माण का कार्य हर साल मई-जून में कर दिया जाता है। इन दिनों में मिलने वाली तीखी धूप से बनाई जाने वाली मूर्ति को सूखने का पर्याप्त समय मिल जाता है। हालांकि, इस बार कोरोना संकट के चलते लगे लॉकडाउन और सामान की आवजाही पर रोक के चलते वैसे भी इनके कार्य की शुरुआत देर से हुई थी, जिसे बारिश की नमी के बीच समय पर पूरा कर पाना हर मूर्तिकार के लिए चुनौती था। बता दें कि, कोरोना महामारी के चलते जारी गाइडलाइन में शासन ने शुक्रवार को पंडाल में 6 फीट से ज्यादा ऊंची प्रतिमा स्थापित करने पर प्रतिबंध लगाया है। इसपर राजधानी भोपाल के कई मूर्तिकारों का कहना है कि, वैसे भी कम समय कड़ी मेहनत कर पहले से 6 से ज्यादा की शहर के कई कारीगर मूर्तियां बना चुके हैं। अब नियम के अनुसार उन्हें खंडित करना भी पाप का भागीदार बनाएगा।
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क्या कहते हैं शहर के मूर्तिकार?
-शहर के इतवारा इलाके में सालों से मूर्तिकारी करने वाले विक्की का कहना है कि, हर साल मई-जून में मूर्तिकारी का कार्य शुरू कर दिया जाता है। इस बार कोरोना संकट के चलते वैसे ही काफी पिछड़ चुके थे। अब शासन की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक तय समय में छह फीट या उससे छोटी मूर्ति बनाना और भी मुश्किल हो गया है।
-इतवारा के ही मूर्तिकारों में से एक राहुल ने गाइडलाइन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि, सरकार ने गाइडलाइन जारी करने में काफी देर लगाई, जिसका खामियाजा इस संकट की घड़ी में हमें भुगलना पड़ेगा।
-पीरगेट स्थित कुम्हारपुरा के मूर्तिकार बलराम के मुताबिक, मूर्तियों को सूखने में कम से कम 15 से 20 का समय लगता है, जो इस बार मूर्तिकारी करने के बाद पर्याप्त समय नहीं लग रहा। हम आज से ही मूर्तियां बनाना शुरू करें, तो भी उन्हें सुखाने के लिए ये पर्याप्त समय नहीं है।
-पीरगेट के एक अन्य मूर्तिकार शक्तिपाल का कहना है कि, अनुमति देरी से मिलने के चलते हर बार की तरह इस बार काम नहीं कर सकेंगे। हर साल इस समय तक बिल्कुल भी फुर्सत नहीं रहती। इस बार कोरोना संकट के कारण बंगाल से कारीगरों के न आ पाने का खामियाजा भी हमे ही भुगतना पड़ेगा।