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किन जिलों के किन इलाकों को घरों से निकलने और बाजारों के घखोलने की कितनी छूट देना है, इसपर पूरी तैयारी कर ली गई है। इसमें न सिर्फ संक्रमित क्षेत्रों के आकार छोटे करने का काम किया जाएगा, बल्कि प्रदेश के बाहर और भीतर से आने-जाने की व्यवस्था पुख्ता बनाई जाएगी। राशन समेत अन्य जरूरी सामान की दुकानों को ज्यादा समय तक खोलने की तैयारी की गई है, ताकि भीड़ कम से कम एक साथ एकत्रित हो और उसे रोजमर्रा की जरूरी चीजों के लिए परेशान न होना पड़े।
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इसके अलावा, जिला आपदा प्रबंधन समूह को भी ज्यादा सक्रिय किया जा रहा है, ताकि जिला स्तर पर ही तत्काल निर्णय लिया जा सके। प्रदेश में कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए सरकार ने जांच की गति तो काफी बढ़ा ली पर अब भी इसके नतीजे आने में समय लग रहा है। कोरोना पॉजिटिव प्रकरण आने के बाद पहले चरण में जिला प्रशासन ने आनन-फानन में संक्रमित क्षेत्र घोषित कर पूरी तरह आवाजाही रोक दी थी। इन इलाकों को आनन फानन में इतना बड़ा बना दिया गया कि, काफी दूरी तक की आम आवाजाही बाधित हुई। जिला अधिकारी अब इन इलाकों को छोटा करने में जुटे हुए हैं।
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जिस स्वास्थ्य महकमे पर संक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी थी, उसके ही 75 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी संक्रमण की चपेट में आ गए। इनमें से कुछ तो मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बैठकों में आते-जाते रहे हैं। इसी तरह कुछ पुलिसकर्मी भी संक्रमित क्षेत्रों में ड्यूटी करते-करते संक्रमित हो गए। मैदानी ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों लिए सुरक्षा उपकरण लॉकडाउन का दो चरण पूरा होने के बाद भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हैं। आम लोगों की सुरक्षा में जुटे इन लोगों की सुरक्षा का बेहतर ख्याल रखने पर निर्णय लिया गया है।
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लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से सब कुछ बंद कर दिया, उससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ। वैकल्पिक व्यवस्थाएं अभी तक पूरी तरह आकार नहीं ले पाई हैं। सब्जी से लेकर अन्य चीजें औने-पौने दामों पर बिक रही हैं। प्रदेश में जगह-जगह लोग फंसे हुए हैं। लॉकडाउन के नाम पर इन्हें कहीं आने-जाने नहीं दिया जा रहा। ई-पास की व्यवस्था लागू जरूर की गई है लेकिन ये पूरीतरह कारगर है, ये कहना भी सही नहीं होगा। इस दिशा में बेहतर पारदर्शिता की जरूरत है, जिसपर इस बार ध्यान देने और व्यवस्था बनाने पर अधिकारियों की चर्चा हो चुकी है।