महिला बटालियन के जिम्मे देश के महत्वपूर्ण संसाधनों जैसे एयरपोर्ट, मेट्रो रेल और वीआइपी सुरक्षा होगी। भोपाल में भी इनकी तैनाती होगी। बता दें कि अब तक सीआइएसफ में डेडिकेटेड महिला बटालियन नहीं थी,संयुक्त बल ही टुकड़ी में शामिल होते थे।
गौरतलब है कि ठीक 60 पहले 9 जनवरी 1964 को वर्तमान में झारखंड की राजधानी रांची (तब बिहार का हिस्सा) में हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन प्लांट में भीषण आग लग गई थी, जिसमें भारी क्षति हुई। न्यायमूर्ति बी मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग ने प्लांट में आग का कारण तोडफ़ोड़ को माना था।
साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को आग से और सामान्य सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए एक अनुशासित और एकीकृत बल के गठन की अनुशंसा की थी। इसी के फलस्वरूप आगे चलकर सीआइएसएफ की स्थापना की गई जो अब भी जारी है।
1970 में फायर विंग भी हुआ शामिल
सीआईएसएफ की अपनी एक फायर विंग भी है। इसकी स्थापना 16 अप्रैल 1970 को फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल त्रावणकोर (एफएसीटी) कोचीन में 53 जवानों के साथ की गई थी। बाद में जनवरी 1991 में भारत सरकार ने सीआइएसएफ में अलग से एक अग्नि सेवा संवर्ग के गठन के लिए विविध पदों पर भर्ती नियमों को मंजूरी प्रदान की। इसके अनुसार अग्नि सेवा संवर्ग (फायर विंग) ने सीआईएसएफ में 12 जनवरी 1991 से कार्य करना शुरू कर दिया। प्रतिष्ठानों और वीआइपी की सुरक्षा का जिम्मा: केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के कंधों पर देश के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा का जिम्मा होता है। वर्तमान में सीआइएसएफ के पास देशभर में 359 से अधिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का जिम्मा है। 115 अधिष्ठानों में फायर विंग भी सेवाएं दे रही है। संपत्ति और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के साथ सीआइएसएफ परिसर के कर्मचारियों को भी सुरक्षा प्रदान करता है।
महिला बटालियन के गठन के लिए केंद्र से मंजूरी मिली
सीआइएसएफ में डेडिकेटेड महिला बटालियन के गठन के लिए केंद्र से मंजूरी मिल गई है, जल्द ही यह सैन्य टुकड़ी मैदान पर भी दिखाई देने लगेगी।