22 से 27 मार्च तक प्रज्ञा ठाकुर दिल्ली में डेरा डाले रहीं और इसी दौरान उनके टिकट पर मुहर लग गई। संगठन प्रज्ञा के नाम पर स्थानीय नेताओं को राजी करना चाहता था। उसे डर था कि बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो की तरह भोपाल में भी बगावत बुलंद ना हो जाए। स्थानीय नेताओं को साधने का काम राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने संभाला। मंगलवार को देर शाम प्रदेश स्तर के नेताओं की भोपाल में बैठक हुई। उसी बैठक में लोगों ने साफ कर दिया कि प्रज्ञा के नाम के ऐलान के बाद किसी तरह का असंतोष पैदा न हो।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के दिल्ली से लौटने के बाद 21वें रोज यानी की 17 अप्रैल को उन्होंने भाजपा की सदस्यता लीं। उसके ठीक दो घंटे के बाद दिल्ली से उनके नाम का ऐलान कर दिया गया है कि प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से बीजेपी की उम्मीदवार होंगी।
भिंड जिले में जन्मी और कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलने वाली प्रज्ञा का जीवन उतार-चढ़ाव वाला रहा है। मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक बम विस्फोट हुआ था। बम को मोटरसाइकिल में लगाया गया था। इस ब्लास्ट में आठ लोग मारे गए थे और 80 से अधिक लोग घायल हो हुए थे। इसकी प्रारंभिक जांच में प्रज्ञा का नाम सामने आया। एनएआईए ने जांच में पाया कि घटना की साजिश अप्रैल 2008 में भोपाल में रची गई थी। बाद में वे इस मामले में बरी हो गईं।