सरस्वती पूजा पंचमी कब है?
भोपाल के ज्योतिषाचार्य का कहना हैं कि इस साल सरस्वती पूजा 14 फरवरी को मनाई जाएगी. दरअसल, इस वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 तारीख को शुरू हो जाएगी, जिसका समय दिन के दो बजकर 41 मिनट है. यह 14 फरवरी को लगभग 12 बजकर 10 मिनट के करीब समाप्त हो जाएगा. ऐसे में उदया तिथि 14 फरवरी होने के कारण इस साल वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा 14 तारीख को होगी.
सरस्वती पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार वसंत पंचमी पर यानी 14 फरवरी को सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 5 घंटे 34 मिनट का है। इस दिन सुबह 7.01 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक कुल 5 घंटे 34 मिनट के पीज पूजा करना शुभ रहेगा और दिव्य फल देने वाला रहेगा।
वसंत पंचमी का महत्व
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार देवी सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और इनका अवतार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि हुआ था। इनकी पूजा अर्चना से जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इनके आशीर्वाद से बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है, जिससे व्यक्ति सही निर्णय ले पाता है और जीवन में प्रगति करता है।
इनके आशीर्वाद से ज्ञान प्राप्ति के साथ सुस्ती, आलस्य और अज्ञानता से छुटकारा मिलता है। कुछ प्रदेशों में आज के दिन शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इसी के साथ वसंत पंचमी शादी विवाह और मांगलिक कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है, यानी इस दिन अन्य कोई ज्योतिषीय नियमों की पड़ताल किए बिना शादी-विवाह, ग्रह प्रवेश, मुंडल या किसी नए व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं।
वसंत पंचमी की पूजा विधि
1. बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सफेद या पीले रंग का वस्त्र पहनें, उसके बाद माता सरस्वती पूजा का संकल्प लें।
2.पूजा स्थल पर लकड़ी की चौकी पर सफेद या पीला नया कपड़ा बिछाएं, फिर मां सरस्वती की तस्वीर स्थापित करें और मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं, फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। माता के साथ गणेशजी की भी पूजा करें।
3. इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, केसर. पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
4. इस दिन मां सरस्वती को गेंदे के फूल की माला पहनानी चाहिए, साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
5. इसके बाद सरस्वती की वंदना और मंत्रों को जप कर माता का ध्यान करें।
6. सरस्वती कवच का पाठ करें और हवन करें। इस दौरान ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः स्वाहा का जाप करते हुए आहुति दें।
7. फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।
ये वंदना का जाप कर के आप माता सरस्वती की आरती कर सकते है
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥