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ससुराल में हुई थी चार महीने पहले प्लानिंग, पढ़िए ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी

फैमिली पार्टी में हुई थी पूरी प्लानिंग

भोपालMar 10, 2020 / 12:51 pm

Muneshwar Kumar

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भोपाल/ ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर एक साल के कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। हालांकि तमाम कयासों को वह वक्त के साथ खुद ही खारिज करते रहे हैं। मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनने के चौदह महीने बाद आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तमाम कयासों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही कांग्रेस ने भी इस्तीफा मंजूर कर लिया है।
सिंधिया के इस्तीफे के बाद उनके समर्थकों ने भी इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के नेता अब उन्हें गद्दार बता रहे हैं। लेकिन सबके मन में एक सवाल है कि आखिर सिंधिया के इस्तीफे की कहानी क्या है। कैसे पीएम मोदी और अमित शाह से इनकी डील हुई है। इस्तीफे की पूरी पटकथा चार महीने पहले सिंधिया के ससुराल में लिखी गई थी। अब उसे अमलीजामा पहनाया गया है।
पीएम मोदी से की मुलाकात
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पीएम मोदी से दिल्ली में मुलाकात के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दिया है। जानकारी के अनुसार इसकी प्लानिंग एक बड़ौदा में एक फैमिली पार्टी के दौरान हुई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया का ससुराल बड़ौदा राजघराने में हैं। बड़ौदा महाराज से पीएम मोदी के अच्छे संबंध हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने सोशल प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम हटा दिया था।

गुजरात में है ससुराल
ज्योतिरादित्य सिंधिया का ससुराल बड़ौदा में है। उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया बड़ौदा के गायकवाड़ मराठा राजरिवार से हैं। सिंधिया का इस वजह से गुजरात अक्सर आना जाना होता है। जबकि सिंधिया की सास नेपाल राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। प्रियदर्शनी से ज्योतिरादित्य सिंधिया का विवाह 12 दिसंबर 1994 को हुआ है। बताया जाता है कि बड़ौदा महाराज से प्रधानमंत्री मोदी से अच्छे रिश्ते हैं। यहीं वजह है कि पीएम मोदी ने पहली बार लोकसभा चुनाव भी बड़ौदा से ही लड़े थे।

नवंबर में सिंधिया गए थे बड़ौदा
जानकारों के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया नवंबर में बड़ौदा गए हुए थे। बड़ौदा महाराज के यहां कोई पारिवारिक फंक्शन था। जिसमें परिवार के सभी लोग एकत्रित हुए थे। बताया जा रहा है कि किसी सदस्य का शादी समारोह था। यहां सियासी जगत के भी कई लोग पहुंचे थे। सियासी हलकों में यह चर्चा है कि यहीं पर बड़ौदा महाराज के साथ सिंधिया ने अपनी वर्तमान राजनीतिक स्थिति को लेकर चर्चा की।

यहीं हुई प्लानिंग?
चर्चा है कि इस समारोह में सिंधिया के राजनीतिक भविष्य को लेकर बात हुई। क्योंकि कांग्रेस में सिंधिया बिल्कुल ही अलग-थलग पड़ गए थे। पार्टी न तो उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने को तैयार थी और न ही राज्यसभा भेजने को। ऐसे में सिंधिया के पास कोई रास्ता नहीं बचता था। बड़ौदा महाराज से नरेंद्र मोदी के रिश्ते जगजाहिर हैं। इसी फैमिली पार्टी में सिंधिया के आगे की सियासी सफर पर चर्चा हुई। उसके बाद सिंधिया आगे की तैयारी में जुट गए थे। आखिरकार उन्होंने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस ने कभी सिंधिया को दी थी बड़ौदा की जिम्मेदारी
ज्योतिरादित्य सिंधिया का ससुराल बड़ौदा राजघराने में है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने भी गुजरात चुनाव के दौरान उन्हें बड़ौदा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी थी। बड़ौदा के आसपास की जो सीटें उसे जीताने की जिम्मेदारी सिंधिया को सौंपी गई थी। सिंधिया इस दौरान जाकर वहां प्रचार भी किया था

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