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भोपाल

अशोक ध्यानचंद ने पहचान ली थी विवेक की प्रतिभा, तराश कर बना दिया हीरा

टोक्यो ओलिंपिक 2020 में गोल करनेवाले विवेक सागर प्रसाद के कोच अशोक ध्यानचंद से पत्रिका.कॉम की खास बातचीत

भोपालJul 29, 2021 / 02:45 pm

deepak deewan

Hockey Player Vivek Sagar Prasad Ashok Dhyanchand Interview

Hockey Player Vivek Sagar Prasad Ashok Dhyanchand Interview

भोपाल. टोक्यो ओलिंपिक 2020 में गुरुवार को भारत ने अर्जेंटीना को हराकर हॉकी के क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली। भारत की इस जीत में इटारसी के छोटे से गांव के रहने वाले विवेक सागर प्रसाद का खास योगदान रहा, जिन्होंने खेल समाप्ति के महज दो मिनट पहले अर्जेंटीना के खिलाफ एक खूबसूरत गोल दागा। विवेक सागर की जीत से उनके कोच रहे हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक ध्यानचंद भी बेहद उत्साहित हैं। पेश है पत्रिका.कॉम के साथ खास बातचीत के प्रमुख अंश…।
आज भारत की जीत में विवेक सागर के अहम योगदान पर-
ध्यानचंद— विवेक ने वाकई कमाल किया है। वे मिडफील्डर हैं, लेफ्ट—ऑफ की पोजीशन पर खेलते हैं। हाफलाइन से डी तक पहुंच जाना और राइट साइड से हुए अटैक से लौटी गेंद को गोल में पहुंचा देना—यह सबकुछ गजब का काम है। उन्होंने बेहद सटीक अनुमान लगाकर मौके पर खूबसूरत गोल किया।
बचपन में ही विवेक की प्रतिभा पहचानने पर—
ध्यानचंद— अकोला में हुए एक टूर्नामेंट में पहली बार जब विवेक को खेलता देखा तभी लग गया था कि वे बहुत आगे जा सकते हैं। उस समय वे महज 13—14 साल के थे पर उनके दौड़ने का ढंग बहुत अच्छा था, पैरों में गजब का तालमेल दिखा। सभी खिलाड़ियों के बीच वे छलांग मारते हुए अलग ही दिख रहे थे, चोट लगने का कोई डर नहीं दिख रहा था।
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विवेक को अपने घर रखने, ट्रेनिंग देने और उनका हुनर निखारने पर—
ध्यानचंद— मुझे लगा कि इस बच्चे के हुनर को तराशना जरूरी है। खेल समाप्ति के बाद मैं खुद उनसे जाकर मिला और शाबासी दी। उन्हें भोपाल ले आया और कुछ माह तक अपने घर में ही रखा। उनमें हाकी के प्रति जबर्दस्त समर्पण दिखाई दिया था। बचपन से ही देश के लिए खेलने और कुछ कर गुजरने—जीतने का जज्बा भी था।
विवेक के साथ हुए भयानक हादसे पर—
ध्यानचंद— मेरे सामने की ही बात है जब वे प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी से टकरा गए थे। उनके हाथ की हड्डी टूटकर बाहर आ गई थी। उससे भी बुरी बात यह हुई कि खराब खून उनके फेफड़ों तक पहुंच जाने से उनकी जान पर बन आई थी। उस भयावह दुर्घटना से भी वे जल्द ही उबर गए और एक हाथ से ही प्रेक्टिस प्रारंभ कर दी थी।
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टीम में विवेक की अहमियत पर—
ध्यानचंद— मिडफील्डर की भूमिका के लिए विवेक पूरी तरह फिट हैं। भारतीय टीम की मजबूती में उनका खासा योगदान दिखाई दे रहा है। जूनियर टीम में वे कप्तान भी रह चुके हैं, सो टीमवर्क का महत्व बखूबी जानते हैं। विवेक सागर के साथ भारतीय टीम का भविष्य बहुत उज्जवल दिखाई दे रहा है।
ओलिंपिक में भारतीय टीम के सफर पर—
ध्यानचंद—इस बार हम पक्के तौर पर मेडल ला रहे हैं। जापान के साथ हमारा मैच महज रस्मी ही होगा हालांकि हमें हर मैच गंभीरता से लेना होगा। ओलिंपिक में अभी तक भारतीय टीम ने जो प्रदर्शन किया है उससे लगने लगा है कि हम दोबारा हाकी के सिरमौर बनने की राह पर हैं। गुड लक टू टीम इंडिया।

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