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भोपाल

एफएसएसएआई ने लिखा पत्र, दुकानों से लें शराब के सैम्पल, अधिकारी बोले अन्य कार्यों में व्यस्त हैं

– लाइसेंस नहीं लेने के कारण जांच से बच रहे थे शराब कारोबारी

भोपालNov 19, 2021 / 11:54 pm

प्रवेंद्र तोमर

एफएसएसएआई ने लिखा पत्र, दुकानों से लें शराब के सैम्पल, अधिकारी बोले अन्य कार्यों में व्यस्त हैं

– लाइसेंस नहीं लेने के कारण जांच से बच रहे थे शराब कारोबारी

भोपाल. सरकार मिलावटी शराब के विरूद्ध अभियान चला रही है, लेकिन शराब क्वालिटी को लेकर कुछ नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण नई दिल्ली (एफएसएसएआई) ने आयुक्त खाद्य को पत्र लिखकर राजधानी ही नहीं प्रदेश के सभी जिलों में देशी और विदेशी शराब सैम्पल की जांच के निर्देश दिए हैं। इस पत्र के आधार पर ही आयुक्त खाद्य की तरफ से सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर शराब के सैम्पल लेने के आदेश दिए हैं। अब खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी भी शराब के सैम्पल ले सकेंगे। दरअसल उज्जैन, जबलपुर, मुरैना से कई शिकायतें एफएसएसएआई को गईं। इसके बाद ही ये पत्र मप्र के आयुक्त खाद्य को लिखा गया है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 (एल्कोहोलिक बेव्रेजेज) विनियम 2018 के अंतर्गत नियत किये गये मानकों के अनुसार ही शराब को बनाकर उसका विक्रय किया जाना अनिवार्य है। आबकारी विभाग के मुताबिक शहर में हर रोज करीब 25 हजार अंग्रेजी शराब की बोतल, 20 हजार बियर की बोलत और 50 हजार लीटर देशी शराब की बिक्री होती है। ऐसा पत्र पहले भी जारी हुआ था, लेकिन जिले के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी इसमें दिलचस्पी नहीं लेते। अब शराब के सैम्पल लेने के पत्र को आए हुए दा दिन हो गए, लेकिन एक भी दुकान से सैम्पल नहीं लिए। अधिकारी देवेंद्र दुबे का कहना है कि वे किसी अन्य कार्य में व्यस्त हैं। लाइसेंस नहीं लेते ठेकेदार खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत 2014 में एल्कोहल के लाइसेंस को लेकर पहला आदेश जारी हुआ था। इसके बाद 2018 में दूसरा आदेश जारी हुआ था। फिर से आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने जारी किया। इसका भी पालन नहीं हुआ, तो आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने फिर से आदेश जारी किया।

इसलिये बना कानून
देश भर में मिलावटी शराब पीने से हर साल कई लोगों की मौत होती है। यही वजह है कि शराब ठेकेदारों के साथ ही इसका निर्माण करने वाले कारखानों को लाइसेंस अनिवार्य किया गया है। लाइसेंस लेने पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन का अमला समय-समय पर इसकी जांच कर सकता है। जांच होने से खुलासा हो सकता है कि बेची जा रही शराब में मिलावट या अमानक चीज तो नहीं मिलाई जा रही है, जिससे नुकसान हो। शराब तय मानक का पालन हो रहा है या नहीं। मगर इसे लेकर न तो ठेकेदार गंभीर हुये और न ही आबकारी अफसर।
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