इसलिये बना कानून
देश भर में मिलावटी शराब पीने से हर साल कई लोगों की मौत होती है। यही वजह है कि शराब ठेकेदारों के साथ ही इसका निर्माण करने वाले कारखानों को लाइसेंस अनिवार्य किया गया है। लाइसेंस लेने पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन का अमला समय-समय पर इसकी जांच कर सकता है। जांच होने से खुलासा हो सकता है कि बेची जा रही शराब में मिलावट या अमानक चीज तो नहीं मिलाई जा रही है, जिससे नुकसान हो। शराब तय मानक का पालन हो रहा है या नहीं। मगर इसे लेकर न तो ठेकेदार गंभीर हुये और न ही आबकारी अफसर।
रोजाना खपती है हजारों लीटर शराब, नमूने लेने से बचते हैं