patrika.com पर प्रस्तुत है रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (raghuram rajan) के बारे…। 3 फरवरी को उनका जन्म दिवस है…।
रघुराम राजन का जन्म मध्यप्रदेश के भोपाल में 3 फरवरी 1968 को हुआ था। आज वे 59 वर्ष के हो गए हैं। देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों में से एक रघुराम राजन 50 साल की उम्र में रिजर्व बैंक के गवर्नर बने थे। वे सबसे कम उम्र वाले गवर्नर थे।
भोपाल के एक तमिल परिवार में पैदा हुए रघुराम राजन के पिता भारत सरकार में एक वरिष्ठ IAS अधिकारी थे। रघुराम ने स्नातक की पढ़ाई IIT दिल्ली से की है। IIT दिल्ली से इन्होंने साल 1985 में इलेक्ट्रिक्ल इंजीनियरिंग में B.Tech किया। वहीं साल 1987 में Indian Institute of Management Ahmedabad (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद) से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में अपना पोस्ट ग्रेजुएट किया। रघुराम राजन ने दुनिया की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी MIT (Massachusetts Institute of Technology) से पीएचडी किया है। राजन को भारतीय अर्थव्यवस्था का जेम्ब बॉन्ड (James Bond) यहां तक की रॉक स्टार अर्थशास्त्री (rock star economist) भी कहा जाता है। रघुराम का कार्यकाल सितंबर 2013 से सितंबर 2016 तक था।
ऐसी है पर्सनल लाइफ
रघुराम की पर्सनल लाइफ की बात की जाए तो राजन की माता का नाम मयथिली और पिता का नाम आर गोविंद राजन है। साल 1966 में उनके पिता का ट्रांसफर इंडोनेशिया में हो गया। इस वजह से उनके परिवार को बाहर जाना पड़ा। राजन के एक भाई और बहन भी है। उन्होंने अपनी कॉलेज फ्रेंड राधिका पुरी से शादी की। राधिका और राजन की मुलाकात IIM अहमदाबाद में पढाई के दौरान हुई। फिलहाल राधिका यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो लॉ स्कूल में पढ़ाती हैं। राजन के दो बच्चे हैं।
बर्थ सर्टिफिकेट पर हुआ था विवाद
कुछ वर्ष पहले 29 अप्रैल को जब आरबीआई गवर्नर रहते जब रघुराम राजन भोपाल आए थे तब वे विवादों में पड़ गए थे। भोपाल नगर निगम उन्हें बर्थ सर्टिफिकेट गिफ्ट करना चाहता था। एक दिन में ही सारी प्रोसेस कर तैयार हुए इस बर्थ सर्टिफिकेट में नगर निगम ने राजन के जन्म नाम के आगे डॉक्टर लिख दिया था। इसके साथ ही उनका पता भी नहीं लिखा था। जब मामला गर्माया तो तत्कालीन कमिश्नर छवि भारद्वाज ने किसी सर्टिफिकेट के जारी होने से ही इनकार कर दिया।
रायसेन के गांव की तरक्की देख हो गए थे हैरान
जब राजन भोपाल आए थे तब वे रायसेन जिले के सलामतपुर गांव की तरक्की ने वे इतना हैरान थे कि इसकी हकीकत जानने उन्हें इस गांव में आना पड़ा। वे बच्चों से मिले, सड़क किनारे जुटे लोगों के बीच खड़े होकर बातचीत की। उन्होंने देखा कि कभी ये गांव झोपड़पट्टियों वाला था, पर आज यहां पक्के मकान हैं। इमारतें भी हैं। हर किसी के पास रोजगार है और यहां की औसतन मासिक आय करीब 10 हजार रुपए है। राजन एक छोटे से कार्यक्रम में भी शामिल हुए जिन्होंने स्वयं सहायता समूह का हिस्सा बनकर अपनी किस्मत बदल ली।