तब से प्रदेश में शासकीय भूमि पर निजी विकास वाले 11 क्लस्टर स्वीकृत और निजी भूमि पर 24 क्लस्टर मंजूर किए गए। इनमें 2100 से अधिक प्लॉट उद्योगों को मिलेंगे। इनमें भोपाल में भी दो निजी क्लस्टर बन रहे हैं। आदमपुर में बहुमंजिला मेडिकल डिवाइस क्लस्टर और बैरसिया में खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर बन रहे हैं। सबसे ज्यादा निजी क्लस्टर इंदौर में बन रहे हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में भी स्वीकृति जारी हुई है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में लघु-सूक्ष्म विभाग की समीक्षा में विभिन्न विभागों के समान स्वरूप के लघु उद्यमों को एक छत के नीचे लाने की बात कही थी। इसके बाद निजी क्लस्टरों के आवेदनों पर तेजी से विचार किया जा रहा है।एमएसएमई के संयुक्त संचालक अंबरीश अधिकारी ने बताया, निजी क्लस्टर एप्रोच काफी कारगर हो रही है।
यहां निजी जमीन पर बने क्लस्टर
इंदौर- भागीरथपुरा में मालवा गारमेंट क्लस्टर 9 हेक्टेयर निजी जमीन पर विकसित है। यहां बहुमंजिला इमारत में 177 रेडीमेड गारमेंट की इकाइयां लगेंगी। भोपाल- आदमपुर रायसेन रोड पर निजी निवेशक बहुमंजिला मेडिकल डिवाइस क्ल्स्टर विकसित कर रहे हैं। यहां दो मंजिला औद्योगिक कॉम्प्लेक्स में मेडिकल डिवाइस बनाने वाली 5 इकाइयां लगेंगी। बैरसिया- में निजी 2.5 हेक्टेयर जमीन पर खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर विकसित हो रहा है। यहां खाद्य प्रसंस्करण की 5 इकाइयां लगेंगी। खंडवा: जलकुआं में ग्रीन क्लस्टर बना है। निजी निवेशक ने अपनी 8 एकड़ जमीन पर कृषि अपशिष्ट आधारित विनिर्माण इकाइयों का क्लस्टर विकसित किया है।
बुरहानपुर- यहां 23 हेक्टेयर निजी जमीन पर टेक्सटाइल क्लस्टर बनाया है। यहां केवल वस्त्र निर्माण की इकाइयां हैं।
एमएसएमई की स्थिति
143900 – कुल इकाइयां प्रदेश में 15 लाख से अधिक को रोजगार 48710 करोड़ रुपए- कुल निवेश
यह है पॉलिसी (MP Government Policy)
निजी जमीन पर विकसित ऐसे औद्योगिक क्षेत्र (जिनमें एमएसएमई उद्योग स्थापित है।) की अधोसंरचना विकास के लिए विभाग से चयनित एजेंसी को ऐसी सहायता दी जा रही है। 20 एकड़ तक के औद्योगिक क्षेत्र के लिए प्रस्तावित खर्च का 50% और अधिकतम 1.50 करोड़ रुपए। 20 एकड़ से अधिक 50 एकड़ तक के औद्योगिक क्षेत्र के लिए खर्च का 50% और अधिकतम 3 करोड़ रुपए। 50 एकड़ से अधिक के औद्योगिक क्षेत्र के खर्च का 50% और अधिकतम 5 करोड़ रुपए। यहां विकसित हो रहे निजी क्लस्टर
सबसे ज्यादा 13 निजी क्लस्टर
इंदौर जिले में विकसित किए जा रहे हैं।
भोपाल, बुरहानपुर, शिवपुरी, खंडवा, मुरैना, धार, रायसेन, बैतूल और नीमच जिलों में भी निजी क्लस्टर को स्वीकृति दी गई है।