वन विभाग ने की गड़बड़ी
बता दें कि, प्रदेश के 6592 वनरक्षकों से 165 करोड़ रुपए की वसूली की जा रही है। सितंबर माह में सरकार को वित्त विभाग ने वन विभाग में वेतन वितरण को लेकर चल रही गड़बड़ी की रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि वन रक्षक भर्ती नियम के अंतर्गत वनरक्षकों को 5200+1800 का वेतन बैंड दिया जाना था लेकिन, 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 तक 6592 वनरक्षकों को 5680+1900 का वेतन बैंड दिया गया था। इससे सरकार को करीब 165 करोड़ का घाटा हुआ था। यह भी पढ़े – डीजे की आवाज़ से बच्चे की गई जान, दुर्गा विसर्जन में आया हार्ट अटैक वसूली करने का आदेश
मोहन सरकार ने इस गड़बड़ी पर बड़ा एक्शन लेते हुए वनरक्षकों से पैसे वसूलने का आदेश दिया था। इस आदेश में कहा गया था कि साल 2006 से कार्यरत प्रत्येक वनरक्षक से पांच लाख रूपए और 2013 से कार्यरत वनरक्षक से 1.5 लाख रुपए वसूले जाएंगे। इस पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी लौटना होगा।
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इस वसूली को रोकने के लिए रीवा और सतना के वनरक्षकों ने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को पत्र लिखा था। यह पत्र उन्होंने अपने खून से लिखा था। इस पत्र में वनरक्षकों ने कहा था कि ‘वेतन बैंड क्या देना है यह तो वन और वित्त विभाग ने तय किया है तो 12 प्रतिशत बयाज दर पर वनरक्षकों से अतिरिक्त राशि को वसूलना गलत है। इन दोनों विभागों की गलती की सजा वनरक्षकों को क्यों दी जा रही है।’