हाल ही में 12वीं क्लास के स्टूडेंट शैलेंद्र शर्मा (परिवर्तित नाम) को कान सीटी बजने की शिकायत हो रही थी। माता-पिता उसे शहर के सबसे बड़े हमीदिया अस्पताल के नाक कान गले के विभाग में लेकर पहुंचे। जहां जांच में पता चला कि शैलेंद्र के कान की नसें रोजाना घंटों ईयरफोन लगाए रखने की वजह से कमजोर हो गई हैं, जिससे सुनने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ा है। विभाग के चिकित्सकों का मानना है कि इस स्थिति में जो असर कानों पर पड़ा, वो पूरी तरह सही नहीं हो सकता। इसके लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। हमीदिया अस्पताल में हर महीने नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ के पास 25 पीड़ित युवा आ रहे हैं, जो चिंताजनक है।
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ऐसे ईयरफोन ज्यादा नुकसानदायक
हमीदिया अस्पताल में नाक-कान-गला विशेषज्ञ विभाग की प्रमुख डा. स्मिता सोनी का कहना हा कि छोटे साइज के ईयरफोन कान में लगाना ज्यादा घातक है। ईयरफोन, हेडफोन और ईयर बड्स समेत अन्य उपकरणों के कारण ये समस्या बढ़ रही है। इससे एकाग्रता तक भंग हो रही है। युवा आनलाइन क्लास, संगीत सुनने, काल पर बात करने से लेकर इंटरनेट मीडिया चलाने तक इन ध्वनि उपकरणों का घंटों इस्तेमाल करते हैं। कई लोग आज भी वर्क फ्राम होम के चलते आनलाइन मीटिंग करते हैं। वहीं कई युवा काल सेंटर में काम करते हैं, जिसके लिए वो लंबे समय तक ईयरफोन लगाए रखते हैं। इससे उनकी सुनने की क्षमता कम हो रही है। समय पर सचेत न होने पर ये समस्या बहरेपन का रूप धारण कर लेती है।
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ये सावधानियां जरूरी
– परिजन खुद युवाओं के सामने लंबे समय तक हेडफोन व ईयरफोन का इस्तेमाल न करें।
– यदि वह अकेले में फोन पर बात कर रहे हैं तो उन्हें निजी स्पेस दें, जिससे वह हेडफोन के इस्तेमाल से दूर रहें।
– युवाओं को समझाना होगा कि जहां तक संभव हो फोन, लैपटाप में लगे स्पीकर का ही इस्तेमाल करें।
– युवा अगर निर्धारित समय से अधिक हेडफोन का इस्तेमाल करें तो उन्हें समझाएं कि यह खतरनाक है।