वीडियो होना जरूरी
अभी डिजिटल एक्सेस को लेकर प्रक्रिया में वेरीफिकेशन फीचर्स को सख्त किया गया है। इसके तहत पहली बार वीडियो वेरीफिकेशन अनिवार्य किया है। इसमें अब किसी भी अफसर-कर्मचारी के डिजिटल एक्सेस के लिए वेरीफिकेशन में आधार कार्ड और पेन कार्ड के साथ वीडियो होना जरूरी कर दिया है। इससे ई-वर्किंग में डेटा सिक्योरिटी और पुख्ता हो सकेगी। डिजिटल एक्सेस में नई तकनीक का उपयोग और बढ़ेगा। अभी राज्य में ई-वर्किंग अपडेट लेवल पर नहीं है। ई-ऑफिस लेयर्स ही लागू करना है। केंद्रीय मंत्रालय के स्तर पर भी विमर्श हो रहा है।
ये प्रक्रिया अब तय की
डेटा प्रायवेसी के नेक्सड लेवल में अब किसी भी अफसर-कर्मचारी को यदि डिजिटल एक्सेस में सिग्रेचर बनवाना है तो उसके अपना आधार कार्ड और पेनकार्ड हाथ में लेकर वीडियो बनवाना होगा। इस वीडियो में संबंधित अधिकारी अपना नाम और पदनाम भी बोलेगा। वीडियो में अधिकारी का चेहरा, आधार व पेनकार्ड स्पष्ट दिखना चाहिए। साथ ही नाम व पदनाम का साउंड स्पष्ट होना अनिवार्य है। इस वीडियो को डिजिटल एक्सेस के सिग्रेचर तैयार करने वाली एजेंसी ही तैयार करेगी। ऐसा नहीं होगा कि संबंधित अधिकारी खुद अपना वीडियो बनाकर भेज दें। संबंधित एजेंसी ही इस वीडियो को तैयार करेगी। साथ ही आधार कार्ड, पेन कार्ड और व्यक्ति के सिग्नेचर को वेरीफाई करेगी। इसके बाद उसका डिजिटल एक्सेस दिया जाएगा। इससे पहले इस प्र₹िया में केवल आधार नंबर देकर ही डिजिटल एक्सेस व डिजिटल सिक्नेचर तैयार हो जाते थे।
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सबसे पहले 2006-07 में ईवर्किंग शुरू की। जून 2017 में हाईपॉवर कमेटी बना ई-ऑफिस लागू किया। मई 2018 मई में मंत्रालय में डिजिटल एक्सेस सिस्टम लाए। अक्टूबर 2018 में विस चुनाव आने से प्रोजेक्ट बेपटरी। कमलनाथ सरकार आने पर 2019 में ई-वर्किंग की नई गाइडलाइन जारी। मई 2020 में भाजपा सरकार ने वापस लागू किया। कोरोना में बेपटरी हुआ तो अब तक यही हाल है। अक्टूबर में जनवरी 2025 से ई-ऑफिस को नए सिरे से लागू करना तय किया है।
ई-वर्किंग अभी ऐसी
प्रदेश में राज्य मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों से लेकर संभाग और जिला स्तर तक ई-वर्किंग अनिवार्य की, लेकिन पूरी तरह लागू नहीं हो पाई। एक जनवरी से इसे अनिवार्यता से लागू होना है। मंत्रालय में एसीएस व पीएस से लेकर विभागाध्यक्षों तक ई-फार्मेट में फाइल चलाने का सिस्टम है। पीएस से लेकर अलग-अलग सेक्शन के बाबुओं तक ई-एक्सेस के आइडी व पासवर्ड बने हैं। डिजिटल एक्सेस कोड व डिजिटल सिग्नेचर जिनके नहीं बने हैं, उनके बनाए जा रहे हैं।