भोपाल। बरसात के मौसम में गर्मी से राहत तो मिलती है, लेकिन उमस, चिपचिपाहट उतना ही परेशान भी कर देती है। इन दिनों बाहरी खाने से परहेज करना चाहिए और साफ-सफाई का भी खास ध्यान रखना चाहिए।
इन दिनों आई फ्लू,गलसुआ और फूड पॉइजनिंग तेजी से फैलते हैं साथ ही जरा सी चुक होते ही ये बीमारियां आपको दबोच लेती है। डॉ. राजकुमार के अनुसार ऐसे में यदि आप इनसे अपने व अपनों को बचाना चाहते हैं, तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।
आई फ्लू :
इसे कंजक्टिवाइटिस कहा जाता है। इससे आंखों में लालगी और जलन होने लगती है। आई फ्लू की शुरूआत खारिश से होती हैं और आंखों से चिपचिपे द्रव्य निकलने लगता हैं। इससे पलकें आपस में जुड़ने लगती हैं, जिसे एलर्जिक संक्रमण माना जाता है।
आंखों से पानी निकलने से तेज दर्द होता है। एक बात और यह रोग छूने से फैलने वाला है। यह रोग एक रोगी से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। बच्चों में यह संक्रमण तेजी से फैलता है। वैसे यह इंफैक्शन 4 से 5 दिन में ठीक हो जाता है लेकिन इसके बावजूद डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
ये हैं लक्षणः
1. नींद से उठने पर दोनों पलकों का आपस में चिपक जाना
2. सिर दर्द होना
3. आंखों में बार-बार पानी और गीद आना
4. पलकों पर अधिक सूजन होना
5. आंखों में लाली, खुजली होना
6. रोशनी सहन न कर पाना
ऐसे करें बचावः
यदि घर में कोई आई फ्लू का शिकार हो गया है तो परिवार के सभी सदस्य साफ सफाई पर खास ध्यान रखें।
1. धूप चश्मे का इस्तेमाल करें।
2. तेज रोशनी से बचकर रहें। टीवी न देखें, नजर लगाकर किताबें न पढ़ें।
3. थोड़ी-थोड़ी देर बाद शीतल जल से आंखों पर छींटे मारें।
4. आंखों को मसले ना, इससे लालगी और सूजन और बढ़ जाएगी।
5. तौलिया, साबुन व आईड्रॉप अलग रखें।
6. स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल न करें।
7. तकिए का कवर रोजाना बदलें।
8. कॉन्टैक्ट लैंस वाले आंखों को रगड़े नहीं।
9. आंखों को धुआं, धूल, तीखी धूप और तेज हवा से बचाएं।
10. डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक ड्रॉप्स या ऑइंटमेंट का इस्तेमाल करें।
ये हैं घरेलू इलाज
– सूखे नारियल की गिरी और मिश्री खाने से आई फ्लू तेजी से ठीक होता है। नारियल पानी और नींबू पानी का सेवन भी अच्छा रहता है।
– सेब, केला, गन्ना व मूली भी फायदेमंद होती है। फल को चाकू से काटने की बजाए चबा-चबाकर अच्छे से खाएं।
– बादाम को रात भर भिगोकर रखें। सुबह पीसकर पानी मिलाकर पी लें। साथ ही दूध पी लें।
(इसका रखें खास ध्यान: अगर आप लैंस इस्तेमाल करते हैं तो आई फ्लू का लक्षण दिखाई देने पर तुरंत लैंस निकाल लें। उस लैंस को दोबारा प्रयोग न करें।)
गले का संक्रमण यानी गलसुआ :
गलसुआ, गले में होने वाला एक तरह का संक्रमण है जो लारग्रंथि में होता है। इसमें दर्द के साथ गले के कान के पास वाले हिस्से में सूजन होती है, जिससे खाने-पीने और निगलने में भी काफी तकलीफ होती है और कई बार दर्द के कारण सिर्फ तरल पदार्थों पर ही निर्भर रहना होता है। ये हैं इसके घरेलू उपाय –
1. सिकाई – गलसुआ होने पर गरम पानी और नमक की सिकाई करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा गरम पानी में नमक डालकर गरारे करने से भी लाभ होता है।
2. नमक को एक कपड़े में बांधकर इसे गरम तवे पर हल्का सेंक कर गले की सिकाई करें, इससे सूजन उतरेगी और दर्द भी कम होगा।
3. पके हुए चावल के गुनगुने मांड में एक चुटकी नमक डालकर इसका सेवन करना फायदेमंद होता है। इससे शरीर को पोषण भी मिलेगा, पेट भी भरेगा और गलसुआ में भी लाभ होगा।
4. ताजे अदरक को टुकड़ों में काट लें और इन टुकड़ों को सुखा लें। अब इसे काले नमक में लपेटकर चूसें। इसके अलावा कच्चे अदरक को भी काले नमक के साथ चूसने पर लाभ होता है, पर सूखा अधिक फायदेमंद है।
5. मेथी के दानों को पीसकर पाउडर बना लें और इसका लेप बनाकर गलसुए वाली जगह पर लगाएं। इसमें एक चुटकी नमक डाकर इसे बेहद हल्का गुनगुना करके लगाने से ज्यादा फायदा होगा।
फूड पॉइजनिंग :
सुहानी फुहारों का दौर शुरू हो गया है, लेकिन गर्मी के तेवर भी अभी कम नहीं हुए हैं। गर्मी व बारिश का यह मिला-जुला मौसम सेहत के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील मौसम है। बार-बार प्यास लगने पर व्यक्ति जहां कुछ भी ठंडा पी लेता है, वहीं इस मौसम में खाद्य पदार्थों को भी खराब होते समय नहीं लगता। फूड पॉइजनिंग का खतरा हमेशा बना रहता है।
ऐसे में अपनी सेहत के प्रति पूरी सावधानी रखनी चाहिए। फूड पॉइजनिंग का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि अगर खाना खाने के एक घंटे से 6 घंटे के बीच उल्टियां शुरु हो जाती हैं, तो मान लेना चाहिए कि व्यक्ति को फूड पॉइजनिंग की शिकायत है। इसे तुरंत काबू में करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
यह मुख्यतः बैक्टीरिया युक्त भोजन करने से होता है। इससे बचाव के लिए कोशिश यही होनी चाहिए कि घर में साफ-सफाई से बना हुआ ताजा भोजन ही किया जाए। अगर बाहर का खाना खा रहे हैं तो ध्यान रखें कि खुले में रखे हुए खाद्य पदार्थों तथा एकदम ठंडे और असुरक्षित भोजन का सेवन न करें।
इन दिनों ब्रेड, पाव आदि में जल्दी फंफूद लग जाती है इसलिए इन्हें खरीदते समय या खाते समय इनकी निर्माण तिथि को जरूर देख लें। घर के किचन में भी साफ-सफाई रखें। गंदे बर्तनों का उपयोग न करें। कम एसिड वाला भोजन करें।
इनसे बढता है फूड पॉइजनिंग का खतरा…
1 गंदे बर्तनों में खाना खाने से।
2. बासी और फफूंदयुक्त खाना खाने से।
3. अधपका भोजन खाने से।
4. मांसाहार से।
5. फ्रिज में काफी समय तक रखे गए खाद्य पदार्थों के उपयोग से।