पेड़ पौधों के पत्तों से खाद बनाने के लिए यह योजना बनी थी। इसे ग्रीन वेस्ट नाम दिया गया। शहर के 75 पार्कों में निर्माण हुआ। इनकी व्यवस्था कुछ कर्मचारियों के हाथ थी कुछ जनभागीदारी के हवाले की गईं। लेकिन वर्तमान स्थिति में अधिकांश जगहों खाद बनती नजर नहीं आ रही है। रायसेन रोड के पास पार्क में निर्माण हुआ लेकिन यहां कचरा भरा हुआ था। बताया गया यहां कभी खाद बनी ही नहीं।
देखरेख न होने के कारण बिगड़े हाल देखरेख न होने के कारण इनके हाल खराब हो गए। वेस्टेज ट्रीटमेंट पर काम कर रहे इम्तियाज अली के मुताबिक शुरुआत में यहां वेस्टेज ट्रीट होकर खाद बन रही थी लेकिन अब हालत ठीक नहीं है। सुधार न होने के कारण दिक्कत आई है।
इन जगहों पर स्थिति
75 – पार्कों में लगाई गई हैं कंपोस्टिंग यूनिट
30 लाख – इन यूनिटों के निर्माण पर खर्च। जिम्मेदारों के तर्क
पार्कों में लगाए गए कंपोस्टिंग यूनिट काम कर रहे हैं। अधिकांश यूनिट हाल ही में बने हैं। खाद बनने की प्रक्रिया में समय लगता है। सीपीए के पार्कों की जिम्मेदारी सीपीए की ही है।
प्रेमशंकर शुक्ला, प्रवक्ता, नगर निगम