ये बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि लोकायुक्त पुलिस की सालाना रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि, मध्य प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में पिछले एक साल के भीतर भ्रष्टाचार के मामलों में 26 फ़ीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, एक साल के भीतर मध्य प्रदेश के 279 सरकारी अधिकारी – कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़ाए गए हैं। लोकायुक्त ने 25 सरकारी विभाग में पदस्थ कर्मचारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की है। वहीं, बात करें साल 2021 की तो उस साल में लोकायुक्त टीम ने प्रदेशभर में 252 घूसखोरों को दबोचा था। 2021 की तुलना 2022 में 12 फीसदी से अधिक केस दर्ज किए गए हैं।
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इन पदों पर बैठे जिम्मेदार रिश्वत लेते पकड़ाए
प्रदेश में रिश्वत लेने के मामले में पटवारी, सचिव, क्लर्क, डॉक्टर, डायरेक्टर, इंजीनियर, नायब तहसीलदार, रेंजर, सीईओ, एसडीओ, रेवेन्यू इंस्पेक्टर और पुलिसकर्मी समेत कई नाम शामिल है। पिछले 3 साल में 27 फ़ीसदी कर्मचारी राजस्व विभाग के रिश्वत लेते पकड़ाए हैं। पिछले 3 साल में 9 प्रतिशत पुलिसकर्मी रिश्वतखोरी करते हुए पकड़ाए हैं।
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सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार राज्य सरकारी दफ्तरों में
आपको बता दें कि, सरकारी कार्यालय रिश्वतखोरी का बड़ा अड्डा बने हुए हैं। इनमें भी सबसे अधिक रिश्वतखोरी राज्य सरकारों के ऑफिसों में होती है। भ्रष्टाचार की दीमक सिस्टम की व्यवस्थाओं को खोखला करती जा रही है। इस बड़े कानून और लगाम नहीं लगाया गया तो करप्शन का स्तर और ज्यदा बढ़ेगा। ऐसे में कड़े कानून के साथ कारर्वाई जरूरी हो गया है।