जिले में बूंदी व टोंक सीमा पर स्थित टीकड़ गांव के जवान जयराम मीणा सेना की 12 वीं ग्रेनेडियर्स में नायब सूबेदार के रूप में कश्मीर में देश की सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हो गए 1998 को राजौरी सेक्टर में उग्रवादियों से हुई भीषण मुठभेड में उन्होंने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए, लेकिन वे घिर जाने से उनकी गोलियों से छलनी हो कर वीरगति को प्राप्त हो गए थे। लेकिन जहाजपुर की धरती के जाबांज की बहादुरी के किस्से आज भी लोगों का जोश दुगना कर देते हैं।
शहीद जयराम के माता पिता का स्वर्गवास पहले ही हो चुका था, इसके बाद जयराम भी वीरगति को प्राप्त हो गए। ऐसे में शहीद की तीन पुत्री व दो पुत्रों के पालन पोषण की जिम्मेदारी उनकी बेेेवा कस्तूरी देवी पर आ गई थी। कस्तूरी देवी ने सरकार की अनदेखी के बीच 13 साल तक परिवार को संभालने के लिए संघर्ष किया। ये प्रयास बाद में रंग लाए और सरकार ने शहीद की शहादत के 13 साल बाद उसके बेटे भवानी सिंह को एसडीएम कार्यालय कोटडी में बतौर क्लर्क की नौकरी दी। इसके बाद परिवार की माली हालत में सुधार हुआ।