भाजपा व कांग्रेस जैसे प्रमुख दलों के जिला व ब्लॉक संगठनों में पुरुषों का वर्चस्व है। महिला कार्यकर्ताओं की चुनाव के समय दावेदारी भी प्रमुखता से नहीं उभर पाती है। दलों में संगठन स्तर पर महिला आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से वे आबादी के अनुपात में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने से बचते आए है।
जिले में परिषद सभापति, जिला प्रमुख, पालिका अध्यक्ष, प्रधान जैसे पदों पर महिलाएं रही तो कारण ये पद महिलाओं के लिए आरक्षित होना है। अभी ललिता समदानी भीलवाड़ा की सभापति हैं। 1995 में मधु जाजू प्रथम महिला सभापति थी। ओबीसी की कमला धाकड़, एससी की सुशीला सालवी जिला प्रमुख रही।
जिले के माण्डल, आसीन्द, सहाड़ा, शाहपुरा व जहाजपुर एेसे क्षेत्र हैं, जहां से एक बार भी महिला विधायक नहीं चुनी गई। इन क्षेत्रों में प्रमुख दलों ने अपनी महिला कार्यकर्ता को मौका ही नहीं दिया।
राजनीति में महिलाएं सक्रिय हैं। हालांकि आबादी के हिसाब में मौके कम मिलते हैं। वैसे देश के कई सर्वोच्च पदों पर महिलाएं रह चुक है। मौका मिलने पर महिलाओं ने काबिलियत साबित की है।
ललिता समदानी, सभापति, नगर परिषद भीलवाड़ा
महिलाएं योग्यता में किसी से कम नहीं है। महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई और कार्यकुशलता दर्शाई है। चुनाव में राजनीतिक दलों को महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देना ही चाहिए।
मधु जाजू, पूर्व सभापति नगर परिषद भीलवाड़ा और कांग्रेस नेता