READ: चार वाहन टकराए, एक पलटा, दो ढाबे में घुसे गंभीर दुर्घटना में उनका एक पैर जाता रहा। ऐसा नहीं है कि उन्होंने कभी अपना इलाज नहीं कराया। उन्होंने सारा पैसा इलाज में पानी की तरह बहा दिया। आखिरकार उन्हें अपना बायां पैर कटवाना पड़ा। मुआवजा लेने के लिए ट्रक मालिक पर कोर्ट में केस भी किया। लेकिन कुछ समय बाद वकील की मौत हो गई। उसके बाद केस हार गए पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। खेत नहीं होने के बावजूद ईंरास व सुवाणा में ही सिंजारे की खेती कर रहे हैं।
READ: गुजरात व हिमाचल में जीत का भाजपा ने मनाया जश्न बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की मिसाल बन6 बेटियों व एक बेटे के पिता गणपतलाल दिव्यांग होने के बाद भी उन्हें पढ़ाने-लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हादसे के वक्त उनके 4 बेटियां थी। बेटे की चाह में 2 और बेटियां हो गई। 6 बेटियां होने के बाद उनके एक लड़का हुआ। जो हाल में कक्षा 4 में अध्ययन कर रहा है।
अब सरकारी मदद की है दरकार
गणपत बीपीएल है। 35 किलो गेहूं व 500 रूपए की मासिक विकलांगता पेंशन के अलावा बाकी सरकारी सुविधाओं को तरस रहा है। बेटियों के विवाह के दौरान सरकारी मदद के लिए खूब चक्कर काटे मगर निराश होकर ससुर की मदद से बेटियों का विवाह करवाया।