बाल कल्याण समिति अध्यक्ष डॉ. सुमन त्रिवेदी, महिला थानाधिकारी पुष्पा कसोटिया, पार्षद व अधिवक्ता मंजू पोखारना ने छात्राओं को उनकी सुरक्षा के लिए बने पॉक्सो एक्ट सहित विभिन्न कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी। छात्राओं को डिजीटल युग में बढ़ रहे खतरों के प्रति सचेत किया। छात्राओं को सोशल मीडिया पर फोटो शेयर या प्रोफाइल में फोटो लगाने के खतरे के बारे में समझाया गया। त्रिवेदी ने छात्राओं को गुड टच-बैड टच के बारे में विस्तार से समझाया। प्राचार्य अरूणा गारू ने कहा कि एेसे कार्यक्रम छात्राओं को संबल देगा।
स्कूल खुलने एवं छुट्टी के समय हो पुलिस गश्त
कार्यक्रम में प्राचार्य अरूणा गारू ने कहा कि छात्राएं विद्यालय खुलने के समय एवं अवकाश के समय परिसर के बाहर कई बार छेड़खानी की समस्या भी आती है। उन्होंने स्कूल खुलने एवं छुट्टी होने के समय चारदीवारी के बाहर पुलिस गश्त करने का आग्रह किया ताकि बालिकाओं में सुरक्षा के भाव बने रहे।
एेसा कुछ हो तो नहीं करेें अनदेखी
बालिकाएं लैंिंगंक आधार पर परेशानी महसूस करें तो हेल्पलाइन १०९८ एवं गरिमा हेल्पलाइन की मदद ले।
कोई भी गलत जगह छूने का प्रयास करे तो तत्काल पुरजोर ढ़ंग से मना करें एवं इस बात को बताएं जरूर।
स्कूल या कॉलेज से घर आते-जाते कोई पीछा करे या लगे लगातार घूरता है तो उसकी शिकायत करें।
फोटो के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ हो तो तत्काल परिजनों को बजाए।
शिक्षक या परिजन के पास बालिका यौन दुव्र्यवहार की शिकायत करे तो उसे दबाव नहीं, अन्यथा उनके खिलाफ भी पॉक्सो एक्ट में कार्रवाई हो सकती है।
बेटियों को शोषण सहने की बजाय सक्षम स्तर पर बयां करना चाहिए। शिक्षक हो या परिवार का व्यक्ति, यदि कोई प्रताडि़त, यौनिक शोषण करे तो उसे बर्दाश्त की बजाए हमारे पास आए, अवश्य कार्रवाई होगी। बालिकाओं की पीड़ा सुनने को थाना जरूरी नहीं है, जहां चाहेगी महिला पुलिस की मौजूदगी में बात सुनी जाएगी।
डॉ. सुमन त्रिवेदी, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, भीलवाड़ा
पुलिस हमेशा मदद को तैयार
पुलिस छात्राओं की मदद के लिए तैयार है। छात्राओं को स्मार्ट फोन के जमाने में नए खतरों के प्रति सजग रहना होगा। कोई ब्लेकमैलिंग जैसा प्रयास करे, तो पुलिस, बाल कल्याण समिति आदि की मदद अवश्य ले। पुलिस बालिकाओं के माामले पूरी संवेदनशीलता से सुनेगी। पुलिस ने बालिकाओं के लिए हेल्पलाइन भी शुरू कर रखी है।
पुष्पा कसोटिया, महिला थानाधिकारी, भीलवाड़ा
समाज में बहुत बदलाव आया है एवं बेटियों व महिलाओं के लिए नए खतरे भी बढ़े है। बेटियां अपना दर्द दिल में छुपाएं रखने की बजाय जिस पर वे भरोसा करे उसके समक्ष बयां अवश्य करें। बालिकाओं को समाचार पत्र आदि पढऩे की आदत भी विकसित करनी चाहिए ताकि उन्हें पता रहे कि सरकार उनके हित में क्या नए कानून बना रही है।
मंजू पोखरना, पार्षद एवं अधिवक्ता, भीलवाड़ा