गुर्जर ने आरोप लगाया कि राजनीतिक द्वेषता के चलते उन्हें बदनाम किया जा रहा है जबकि पिछले चार दिन से आसीन्द में ही नहीं थे। उन्होंने कहा कि पालिकाध्यक्ष और वे एक ही पार्टी के है और कोई विरोध नहीं है। दशहरा मेला लगे या नहीं इसका निर्णय पालिका बोर्ड को करना था, लेकिन फिर भी उनका नाम इससे जोड़ा गया।
पालिका अध्यक्ष कैलाशीदेवी के अनुसार विधायक ने आगे होकर कभी भी किसी काम का विरोध तो नहीं किया, लेकिन कुछ सहवृत पार्षदों को आगे कर रखा है। इसके चलते एक साल से कस्बे में कोई भी काम नहीं हो पा रहा है। इस स्थिति से परेशान होकर ही आत्महत्या की धमकी दी थी। उन्होंने बताया कि दशहरा मेले का उद्घाटन गुरूवार सुबह ८ बजे हुआ। लेकिन इसमें विधायक रामलाल गुर्जर को नहीं बुलाया गया। जिसकी कस्बे में खासी चर्चा रही है। पालिका बोर्ड में भाजपा के १४ पार्षद है जबकि चार सहवृत पार्षदों को मनोनयन किया गया है। बोर्ड में कांग्रेस के पांच एवं एक निर्दलीय पार्षद है।