नदियों में स्नान का बड़ा महत्व पंडित अशोक व्यास ने बताया कि व्रती की हर मनोकामना की पूर्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान हरि इस माह में जल में ही निवास करते हैं। कार्तिक मास में गंगा स्नान, दान, दीपदान, हवन, यज्ञ आदि करने से पापों का नाश होता है। सतयुग के बाद कोई माह का नाम आता है तो कार्तिक मास का आता है। माना जाता है कि इस माह की पूर्णिमा के दिन भगवान भी धरती पर उतर आते हैं। इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसलिए तीर्थ स्थलों पर बहने वाली नदियों में स्नान के लिए बड़ी भीड़ रहती है।
कार्तिक मास के अंतिम पांच दिनों के व्रत फलदायी आरके कॉलोनी निवासी लीलादेवी विजयवर्गीय ने बताया कि कार्तिक मास के अंतिम पांच दिनों को भीष्म पंचक के नाम से जाना जाता है। जो लोग कार्तिक मास में व्रत करने में असमर्थ हैं, उन्हें अंतिम पांच दिनों में व्रत रखना चाहिए। उसे पूरे माह के व्रत का लाभ होता है। यह व्रत एकादशी से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलता है। देना विजयवर्गीय ने बताया कि कार्तिक मास में ही तुलसी माता व भगवान शालिगराम का विवाह किया जाता है। कहा जाता है कि इस माह में तुलसी पर रोज सुबह-शाम दीपक जलाने से मां लक्ष्मी व भगवान हरि की कृपा बरसती है। परिवार में कष्टों का निवारण होता। समृद्धि बढ़ती है। कार्तिक मास में सुर्योदय से पहले किया गया स्नान एक हजार गंगा स्नान के बराबर माना गया है। मंदिरों में कार्तिक स्नान के बाद श्रद्धालु भगवान की पूजा अर्चना करते हैं और कथा श्रवण कर शुद्ध भाव से जल का अर्पण करते हैं।