नए नियम 3 जनवरी से लागू हो गए। इसमें खनिज उद्योगों को अब ट्रांजिट पास नियमों में पंजीयन से मुक्ति दी है। अब उन्हें डीलर रजिस्ट्रेशन की बाध्यता से वार्षिक 25 हजार व प्रति टीपी 10 रुपए के शुल्क की मूल डिमांड से राहत मिली है।
यह पड़ रहा था प्रभाव अप्रधान खनिज यथा क्वार्ट्ज फेल्सपार, क्ले, मार्बल, डोलोमाइट, खरेड़ा, सोपस्टोन, सैंड स्टोन, कोटा स्टोन, लाइमस्टोन को ग्राइंडिंग कर पाउडर बनाने के कार्य से कई लोगों को रोजगार मिलता है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में रोजगार देने वाले व राज्य को करोड़ों की रॉयल्टी व जीएसटी कर देने वाले इन उद्योगों पर यह 25 हजार रुपए प्रतिवर्ष राशि भरने के नियम भार बढ़ाने वाला था। इसका कारोबारी विरोध कर रहे थे।
कच्चे माल को रोकने के लिए रॉयल्टी बढ़े क्वार्ट्ज, फेल्सपार और पाउडर से जुड़े उद्योगपति प्रदेश से बाहर जाने वाले कच्चे खनिज पर छह गुना रायल्टी बढाने की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर शिष्टमंडल जल्द खनिज विभाग के आला अधिकारियों व मंत्री से मुलाकात करेगा। अभी भीलवाड़ा जिले से आसींद, भगवानपुरा, गंगापुर के अलावा ब्यावर, किशनगढ़, सिलोरा, नसीराबाद, उदयपुर, अलवर, राजगढ़, राजसमंद, डूंगरपुर से कच्चा माल गुजरात के मोरवी जा रहा है। मोरवी में मिनरल ग्राइडिंग की बड़ी यूनिट है। इससे मोरवी से आने वाली मांग कम हुई। मांग कम होने से यहां की कई यूनिट बंद पड़ी हैं।
गंगापुर खनिज उद्योग संघ के अध्यक्ष शेषकरण शर्मा ने बताया कि राज्य से बाहर कच्चा माल ही निर्गमित हो रहे हैं। इस खनिज पर छह गुणा तक ज्यादा रॉयल्टी वसूलने की नीति भी राज्य सरकार को अपनानी चाहिए, ताकि राज्य में कच्चा माल सस्ता उपलब्ध होने से स्थानीय उद्योगों को संबल मिल सके। यहां पर सिरेमिक उद्योग शुरू होने पर इससे निर्माताओं को अन्य राज्यों के निर्माताओं के मुकाबले ज्यादा बचत होगी व रॉ मटेरियल सुलभ होगा। बाजार की प्रतिस्पर्द्धा में खड़ा रह सकेगा।